टाटा-मिस्त्री विवादः साइरस मिस्त्री नहीं बन पाएंगे टाटा ग्रुप के चेयरमैन, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई NCLAT के आदेश पर रोक
टाटा समूह और साइरस मिस्त्री विवाद पर एनसीएलएटी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है यानी साइरस मिस्त्री टाटा ग्रुप के चेयरमैन नहीं बन पाएंगे।
नई दिल्ली। टाटा समूह और साइरस मिस्त्री के विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। शुक्रवार को टाटा संस और साइरस मिस्त्री विवाद मामले में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है। सायरस मिस्त्री को चेयरमैन नियुक्त करने के आदेश पर रोक लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सायरस मिस्त्री को टाटा संस का एग्जिक्युटिव चेयरमैन बनाने के एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय एनसीएलएटी के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा संस की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है। कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को भी नोटिस जारी किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से रतन टाटा और टाटा समूह को बड़ी राहत मिली है।
कोर्ट ने याचिका में उठाए गए सवालों पर साइरस मिस्त्री से जवाब तलब किए हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने 18 दिसंबर 2019 को दिए अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संसद के कार्यकारी चेयरमैन पद पर फिर से बहाल किए जाने का आदेश दिया था, इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में टाटा समूह की ओर से चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NCLAT के आदेश में बुनियादी कमी है। कोर्ट ने कहा कि हमने एनसीएलएटी के न्यायिक रवैये को देखा तो यह पाया कि इसमें बुनियादी कमी थी।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर 2019 को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाटा संस (टीएसपीएल) के कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर बहाल करने का आदेश दिया था। फैसले में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध करार दिया गया था। एनसीएलएटी के फैसले के बाद ही साइरस मिस्त्री ने कहा था कि टाटा समूह में किसी भी भूमिका में लौटने में उनकी कोई रुचि नहीं है।
इसके पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। यह याचिकाएं दो निवेश फर्मों साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गई थीं। इसके बाद मिस्त्री ने खुद NCLAT में संपर्क किया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सायरस मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन थे। रतन टाटा के 2012 में रिटायर होने पर सायरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन बने थे। मगर मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन और समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों से टाटा संस के बोर्ड ने अक्टूबर 2016 में चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। दो महीने बाद मिस्त्री ने टाटा संस के इस फैसले को एनसीएलटी की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी। मिस्त्री की तरफ से उनके परिवार की दो निवेश ने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। इन कंपनियों में सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प शामिल हैं। मगर एनसीएलटी ने जुलाई 2018 में मिस्त्री के दावे को रद्द कर दिया था।
जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद और अब तक क्या-क्या हुआ
- रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप क बागडोर सौंप गई थी। 2012 में साइरस के हाथों में कमान आने के बाद विवाद बढ़ने शुरू हो गए।
- 24 अक्टूबर 2016: टाटा संस ने सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से बर्खास्त कर दिया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया।
- 25 अक्टूबर 2016: मिस्त्री ने टाटा संस के बोर्ड को पत्र लिख कर टाटा के ट्रस्टी द्वारा क्षद्म नियंत्रण का लगाया आरोप।
- 19 दिसंबर 2016: मिस्त्री ने टाटा समूह की सभी कंपनियों के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया।
- 20 दिसंबर 2016: मिस्त्री ने एनसीएलटी में याचिका दाखिल कर अल्पमत शेयरधारकों के दमन और कुप्रबंधन का आरोप लगाया।
- 12 जनवरी 2017: टाटा संस ने एन चंद्रशेखरन को चेयरमैन नियुक्त कर दिया।
- 6 फरवरी 2017: मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से भी निदेशक पद से हटाया गया।
- 21 सितंबर 2017: टाटा संस के बोर्ड ने प्राइवेट कंपनी बनने की योजना को हरी झंडी दिखायी।
- 12 जून 2018: एनसीएलटी ने फैसले के लिए 4 जुलाई की तिथि तय की।
- 4 जुलाई 2018: एनसीएलटी ने फैसले की तिथि को बढ़ाकर 9 जुलाई किया।
- 9 जुलाई 2018: एनसीएलटी ने मिस्त्री की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन पद से बर्खास्त किए जाने को चुनौती दी थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि मिस्त्री को बोर्ड से इसलिए हटाया गया, क्योंकि बोर्ड और उसके सदस्यों का उन पर से विश्वास खत्म हो गया था।
- 18 दिसंबर 2019: एनसीएलएटी ने टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को एक बार फिर नियुक्त करने का आदेश दिया। फैसले में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध करार दिया गया था।
- 5 जनवरी 2020: एनसीएलएटी के फैसले के बाद साइरस मिस्त्री ने कहा कि वह टाटा समूह में लौटकर कोई पद लेने के इच्छुक नहीं हैं। साथ ही कहा कि वह टाटा समूह के हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय ले रहे हैं। टाटा समूह के हित उनके या किसी भी अन्य व्यक्ति के हितों से ऊपर हैं और अधिक महत्वपूर्ण हैं।