नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 11,000 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका सुनवाई की विचारणीयता पर वह फैसला करेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग एवं SFIO जैसी जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से पीएनबी घोटाला मामले की जांच कर रही हैं।
अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल ने कथित घोटाला मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज करने का अनुरोध किया कि कई जांच एजेंसियां पहले से ही मामले में जांच कर रही हैं।
वेणुगोपाल वकील विनीता ढांडा की ओर से दायर उस याचिका का विरोध कर रहे थे जिसमें पीएनबी घोटाला मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हीरा कारोबारी नीरव मोदी की स्वदेश वापसी के संबंध में सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
बैंक के इस 11,400 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अरबपति नीरव मोदी, उनके रिश्तेदार गीतांजलि जेम्स के मेहुल चोकसी एवं अन्य के खिलाफ पहले ही दो प्राथमिकी 31 जनवरी और फरवरी में दर्ज कर चुकी है।
जनहित याचिका में पीएनबी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), वित्त, कानून एवं न्याय मंत्रालयों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में बैंक धोखाधड़ी मामले में कथित रूप से संलिप्त नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ देश वापस लाने की प्रक्रिया यथासंभव दो महीने के भीतर शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि नीरव मोदी और चोकसी की कथित संलिप्तता वाले मामले की विशेष जांच दल (SIT) जांच करे। साथ ही पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन की भूमिका की भी एसआईटी से जांच का अनुरोध किया गया है।
याचिका में वित्त मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि मंत्रालय बड़ी राशि वाले कर्ज की मंजूरी देने एवं उनकी अदायगी पर दिशानिर्देश तय करे। इसके अलावा ऐसे कर्जों की सुरक्षा एवं कर्ज वसूली सुनिश्चित की जाए। इसमें देश में बैंक कर्जों के बुरे अनुभवों से जुड़े मामलों से निपटने के लिये विशेषज्ञों की एक संस्था के गठन की भी मांग की गयी है।
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