नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई के कॉल ड्रॉप के लिए हर्जाने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। इससे टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, वहीं ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने ट्राइ के नियम को असंवैधानिक और अपारदर्शी करार दिया है। ट्राई ने देश में कॉल ड्रॉप की बढ़ती समस्या को देखते हुए कंपनियों को मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ कंपनियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने ट्राई के फैसले पर लाई रोक
न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा, हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर , मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के एकीकृत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस जैसे 21 दूरसंचार परिचालकों के संगठन सीओएआई द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने ट्राइ के इस साल जनवरी से काल ड्राप के संबंध में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के फैसले को उचित ठहराया था।
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क्या है पूरा मामला
ट्राई ने 16 अक्तूबर 2015 को ऑपरेटरों पर प्रति कॉल कटने पर एक रुपए का जुर्माना लगाने की घोषणा की थी। एक दिन में उपभोक्ताओं को सिर्फ तीन कॉल ड्रॉप के लिए मुआवजा दिया जाएगा। इस बाद ऑपरेटरों ने चेताया था कि यदि सरकार अपनी इस योजना पर आगे बढ़ती है तो उनके पास कानूनी कदम उठाने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। नए नियम के लागू होने से टेलीकॉम कंपनियों को रोजाना करीब 150 करोड़ रुपए नुकसान होने की आशंका है। दरअसल देश में बढ़ती कॉल ड्रॉप को देखते हुए सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह फैसला किया है।
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