नई दिल्ली। दिल्ली–एनसीआर में जेपी के प्रोजक्ट में घर की बुकिंग करवाकर फंसे 32,000 फ्लैट बायर्स के लिए यह खबर सुकून देने वाली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने जेपी बिल्डर्स को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू की थी। आपको बता दें कि NCLT ने जेपी को अपना पक्ष रखने के लिए 270 दिनों का वक्त दिया था। अगर इस अवधि के दौरान कंपनी की स्थिति सुधर जाती है तो ठीक नहीं तो उसकी सभी संपत्तियां नीलाम की जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जेपी, RBI व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
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जेपी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद याचिकाकर्ता खरीदारों ने आरोप लगाया कि बिना गारंटी वाले देनदार की वजह से न तो उन्हें घर ही मिलेगा और न ही पैसे वापस मिलेंगे। इस मामले में 24 फ्लैट मालिकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील ने कहा कि जेपी इन्फ्राटेक की 27 रेजिडेंशियल स्कीम में करीब 32 हजार लोगों ने फ्लैट बुक करवाया हुआ है लेकिन कंपनी के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।
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इस तरह फ्लैट खरीदारों की गाढ़ी कमाई के पैसे डूबने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिवालिया कानून के तहत जब प्रक्रिया शुरू होगी तो पहले उन देनदारों का आर्थिक हित सुरक्षित किया जाएगा, जो गारंटी वाले देनदार हैं। फ्लैट खरीदार चूंकि बिना गारंटी वाले देनदार हैं इसलिए उन्हें कानून के हिसाब से कुछ भी नहीं मिलने वाला है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि खरीदारों के हितों को सुरक्षित किया जाए।
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