A
Hindi News पैसा बिज़नेस Supreme Court ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश, बैंकों के बकाया वसूली मामलों की दें जानकारी

Supreme Court ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश, बैंकों के बकाया वसूली मामलों की दें जानकारी

Supreme Court ने मंगलवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दाखिल बकाया वसूली मामलों की जानकारी देने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया।

Supreme Court ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश, बैंकों के बकाया वसूली मामलों की दें जानकारी- India TV Paisa Supreme Court ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश, बैंकों के बकाया वसूली मामलों की दें जानकारी

नई दिल्ली। Supreme Court ने मंगलवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दाखिल बकाया वसूली मामलों की जानकारी देने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया। न्यायालय ने सरकार से उन मामलों की भी जानकारी मांगी है जो पिछले दस सालों से ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRT) और उनकी अपीलीय इकाइयों में लंबित हैं।

सरकार से पूछा यह प्रश्‍न

मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता में न्यायालय की एक पीठ ने सरकार से इस प्रश्न का उत्तर भी मांगा है कि क्या वसूली न्यायाधिकरण इस तरह के मामलों पर एक निश्चित समय सीमा में कानून के तहत निर्णय करने की पर्याप्त क्षमता रखते हैं या नहीं?

यह भी पढ़ें : एशिया की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज BSE लाएगी 1200 करोड़ रुपए का IPO, SEBI ने दी मंजूरी

Supreme Court ने कहा था तर्कसंगत नहीं है NPA वसूली की प्रक्रिया

  • इससे पहले Supreme Court ने कहा था कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) का आंकड़ा कई लाख करोड़ रुपए का है और इसकी वसूली की प्रक्रिया तर्कसंगत नहीं है।
  • इसके अलावा बैंकों और वित्तीय संस्थानों के ऋण की वसूली के लिए बनायी गई DRT और ऋण वसूली अपलीय न्यायाधिकरण (DRAT) की व्यवस्था खराब हालत में है।
  • न्यायालय ने पहले कहा था, NPA का आंकड़ा कई लाख करोड़ रुपए का है और इसकी वसूली नहीं हो पाने के कारणों में से एक वसूली की प्रक्रिया का तर्कसंगत नहीं होना है।

यह भी पढ़ें : आपका पासपोर्ट अब हो जाएगा और सेफ, सरकार जल्द जारी करेगी चिप वाले ई-पासपोर्ट

इससे पहले न्यायालय ने जनहित याचिका में उठाए गए एक मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। यह DRT और DRAT में ढांचागत सुविधाएं, श्रमबल एवं अन्य सुविधाओं में कमी से संबंधित था। गौरतलब है कि DRT और DRAT बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के फंसे हुए कर्ज की वसूली याचिकाओं का निपटारा करते हैं।

2003 में दाखिल की गई थी इससे संबंधित याचिका

  • न्यायालय सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
  • यह याचिका वर्ष 2003 में दाखिल की गई थी जिसमें सरकारी कंपनी आवास एवं शहरी विकास निगम द्वारा कुछ कंपनियों को बांटे गए ऋण का मुद्दा उठाया गया है।
  • याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2015 में करीब 40,000 करोड़ रुपए के कॉरपोरेट ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया गया।

Latest Business News