दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में सुपरटेक की एमेराल्ड कोर्ट परियोजना के 40 मंजिला दो टावरों को, नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने पर गिराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध करार देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कई तल्ख टिप्पणियां कीं। अदालत ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और सुपरटेक की मिलीभगत से यह निर्माण हुआ। उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण की निगरानी में तीन माह के भीतर तोड़ने के निर्देश दिए।
मंगलवार को हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सुपरटेक के, 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी खरीदारों को 12 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाने का आदेश दिया है। सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था जब एमराल्ड कोर्ट हाउजिंग सोसायटी के बाशिंदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश आया। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रॉजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है।
बता दें कि सुप्रीमकोर्ट ने 3 अगस्त को पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब भी कोर्ट से नोएडा अथॉरिटी को खूब फटकार लगाते हुए कहा था कि अथॉरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था की तरह व्यवहार करना चाहिए, ना कि किसी के हितों की रक्षा के लिए निजी संस्था के जैसे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार देते हुए ढहाने और अथॉरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर अपील के दौरान रोक लगा दी थी।
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