नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कई मुद्दों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से दो सवाल पूछे हैं- क्या जिला सहकारी बैंकों को कुछ शर्तों के साथ पुरानी मुद्रा स्वीकार करने की अनुमति दी जा सकती है और क्या बैंकों से न्यूनतम धन निकासी सुनिश्चित की जा सकती है।
कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि सरकार को बैंक से पैसा निकालने की कोई न्यूनतम सीमा तय करनी चाहिए जो पूरे देश में लागू हो और कोई भेदभाव ना रहे। ऐसे में सीमा तय की जाए जिसे बैंक इंकार न कर सकें। अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर पूरी तरह निगरानी रख रही है। हालात किसी तरह बिगड़े नहीं हैं। यहां तक कि कोई दूधवाला या किसान इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं आया है। ये सब मामला राजनीति से प्रेरित है। प्रधानमंत्री मोदी ने 31 दिसंबर तक हालात सामान्य होने के लिए कहा था, जिसमें अभी भी वक्त है। 10-50 दिनों में सरकार हालात और सामान्य करेगी।
मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त करके सहाकारी बैंकों को चलन से बाहर हो गए नोट स्वीकार करने पर प्रतिबंध सहित विभिन्न मुद्दों पर सरकार के दृष्टिकोण से अवगत कराएं।
इस बीच, पीठ ने आगे की सुनवाई के लिए विभिन्न विचारणीय कानूनी सवाल तैयार करने का प्रस्ताव रखा। इस पर रोहतगी ने विमुद्रीकरण पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा।
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