Supertech को गिराने होंगे नोएडा में अपने 40 मंजिला ट्विन टॉवर्स, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टॉवर्स का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुपरटेक (Supertech) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नोएडा के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में बने अपने 40 मंजिला दो टॉवर्स में से एक को बचाने का प्रस्ताव पेश किया गया था। रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने नोएडा में अपने दो 40 मंजिला टॉवर्स को गिराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में संशोधन की अपील करते हुए प्रस्ताव दिया था कि वह भवन निर्माण मानकों के अनुरूप एक टॉवर के 224 फ्लैटों को आंशिक रूप से ध्वस्त कर देगी। कंपनी का तर्क था कि इससे करोड़ों रुपये के संसाधन बर्बाद होने से बच जाएंगे और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और बी वी नागरथना की पीठ ने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड की याचिका में कोई दम नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है। पीठ ने कहा कि विविध आवेदन करने का प्रयास यह स्पष्ट करता है कि इसका उद्देश्य केवल अदालत के मूल फैसले में संशोधन करवाना है। इस तरह के प्रयास को हम कतई अनुमति नहीं देंगे। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में ट्विन टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टॉवर्स का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है। पीठ ने कहा था कि दो टॉवर्स को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड को उठाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के समय से लेकर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए। साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टॉवर्स के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए।
26 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश
नोएडा के सेक्टर 93 में स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी में अवैध ट्विन टावर मामले से जुड़े विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इनमें से 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकी दो की मौत हो चुकी है। केवल चार अधिकारी ही प्राधिकरण में काम कर रहे हैं। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार सुपरटेक एमराल्ड मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी ने अपनी जांच में 26 अधिकारियों की संलिप्तता पाई है। उनके खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस मामले में चार सेवारत अधिकारियों में एक को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। शेष तीन को निलंबित करके उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन 26 अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम और अपार्टमेंट (निर्माण, स्वामित्व एवं रखरखाव का संवर्धन) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। अधिकारियों पर न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एवं तत्कालीन सीईओ सरदार मोहिंदर सिंह, पूर्व सीईओ एस के द्विवेदी, तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आर पी अरोड़ा, पूर्व अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पी एन बाथम, तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी यशपाल सिंह, तत्कालीन आर्किटेक्ट एवं टाउन प्लानर ए के मिश्रा सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।
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