नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स से यह शपथपत्र देने को कहा कि उन्होंने नियम के तहत कॉल ड्रॉप की दो फीसदी की सीमा को पार नहीं किया है। कंपनियों ने इस स्थिति को नियंत्रित करने में खुद को असहाय बताया। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशनों को अदालत को यह सूचित करने को कहा कि क्या उन पर कॉल ड्रॉप के लिए कभी जुर्माना लगाया गया है।
पीठ में न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन भी शामिल थे। पीठ ने कहा, आप यह हलफनामा दें कि कॉल ड्राप दो फीसदी की सीमा से अधिक नहीं रहा है। नियमन और लाइसेंस में यह सीमा तय की गई है। इसके अलावा यह बताएं कि क्या कॉल ड्रॉप को लेकर आप पर पहले कभी जुर्माना लगाया गया है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया :सीओएआई: तथा वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 दूरसंचार कंपनियां ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें ट्राई के कॉल ड्राप के लिए कंपनियों को उपभोक्ताओं को एक जनवरी, 2016 से मुआवजा देने को अनिवार्य किया गया है।
टेलीकॉम ऑपरेटर्स की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस पर नियंत्रण की कोई प्रौद्योगिकी नहीं है। ऐसे में कॉल ड्रॉप को समाप्त नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने सिब्बल से पूछा कि क्या ट्राई के कॉल ड्राप के लिए जुर्माने के नियमन को लागू किया गया है और क्या ऑपरेटरों ने अभी तक यह जुर्माना दिया है। इस पर सिब्बल ने बताया कि ट्राई की सिफारिशें अभी क्रियान्वित नहीं की गई हैं और ऑपरेटरों पर अभी तक कॉल ड्रॉप के लिए जुर्माना नहीं लगा है।
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