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मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी हुआ निर्यात, उत्पादन 33 लाख टन घटने का अनुमान

भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर से शुरू हुए मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले यह से 46 फीसदी अधिक है।

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नई दिल्ली। भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर से शुरू हुए मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले यह से 46 फीसदी अधिक है। भारत ने मार्केटिंग सीजन 2014-15 (अक्टूबर से सितंबर) में 11 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। ब्राजील के बाद भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन वह इसका सबसे बढ़ा खपतकर्ता देश है।

चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बताया, इस्मा के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार 2015-16 के सीजन में करीब 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है। मार्केटिंग सीजन 2015-16 में चीनी उत्पादन घटकर करीब 2.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है। यह उत्पादन पिछले वर्ष 2.83 करोड़ टन का हुआ था। गन्ना और चीनी के दो प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे के कारण अगले विपणन वर्ष में उत्पादन घटकर 2.3 करोड़ से 2.4 करोड़ टन रह सकता है।

निर्यात को सीमित करने के प्रयास के तहत खाद्य मंत्रालय ने चीनी पर 25 फीसदी का शुल्क लागू करने का प्रस्ताव किया है ताकि घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने पिछले सप्ताह कहा था, चीनी के निर्यात को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी के निर्यात पर 25 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। मंत्री ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं और इसलिए व्यापारी मुनाफा को अधिक से अधिक करने के लिए निर्यात को बढ़ा सकते हैं। प्रस्तावित पहल के कारण घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी और कीमतें नियंत्रित होंगी।

व्यापार सूत्रों के अनुसार ब्राजील से आपूर्ति में गिरावट के कारण पिछले तीन महीनों में चीनी की वैश्विक कीमतों में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसलिए अब चीनी का निर्यात करना लाभप्रद हो गया है। हालांकि चीनी के लदान की खेप पर सीमा शुल्क को लागू किया जाता है तो निर्यात गैर लाभकारी बन जाएगा। सरकार ने विपणन वर्ष 2016-17 के लिए चीनी उत्पादन 2.3 से 2.4 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है। हालांकि पहले के बचे हुए 70 लाख टन के स्टॉक के कारण इसकी कुल उपलब्धता करीब तीन से 3.1 करोड़ टन की होगी।

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