नई दिल्ली: लॉजिस्टिक्स की दिक्कतों और ईरान को निर्यात किए जाने की संभावना कम होने से देश का चीनी निर्यात चालू चीनी विपणन वर्ष 2020-21 में 24 प्रतिशत घटकर 43 लाख टन रह सकता है। व्यापार संगठन अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में इस प्रकार का अनुमान लगाया। एआईएसटीए ने अक्टूबर-सितंबर 2020-21 में चीनी उत्पादन बढ़कर 2.99 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है जो पिछले सत्र में 2.74 करोड़ टन था। चीनी मिलों ने 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में निर्धारित 60 लाख टन के कोटा के मुकाबले 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
एआईएसटीए ने एक बयान में कहा कि उसकी फसल समिति का अनुमान हे कि, ‘‘चालू सत्र में चीनी का निर्यात लगभग 43 लाख टन होना चाहिए। लॉजिस्टिक्स की दिक्कतों के कारण निर्यात पिछले साल की तुलना में कम होने की संभावना है।’’ व्यापार निकाय ने कहा कि बंदरगाहों पर कंटेनर की कमी पड़ रही है। इसके अलावा ईरान को निर्यात की संभावना कम है, क्योंकि यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक के पस रुपये में जमा ईरान के कोष में काफी कमी आई है।
एआईएसटीए ने कहा कि 2020-21 चीनी सत्र में घरेलू चीनी उत्पादन 2.99 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले सत्र में 2.74 करोड़ टन से अधिक होगा। व्यापार निकाय ने कहा कि चालू सत्र में लगभग 20 लाख टन सूक्रोज को इथेनॉल उत्पादन के लिए स्थानांतरित किये जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि समान अवधि में घरेलू खपत कम 2.55 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो चीनी सत्र 2019-20 के दौरान 2.60 करोड़ टन थी।
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