नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा कि ब्याज दरें घटाने के लिए केंद्रीय बैंक पर सरकार का दबाव पड़ता था, लेकिन वह कभी इसके दबाव में नहीं आए। सुब्बाराव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में गवर्नर थे। सुब्बाराव ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर का कार्यकाल पांच साल किए जाने की वकालत की। अभी गवर्नर का कार्यकाल तीन साल का होता है और इसमें दो साल का विस्तार दिया जा सकता है।
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सुब्बाराव ने यहां एक पैनल परिचर्चा हू मूव्ड माई इंट्रेस्ट रेट में कहा, सरकार की ओर से दबाव होता था, लेकिन यह कहना कि हम दबाव में आ जाते थे, गलत होगा। जो भी फैसला लिया जाता है, रिजर्व बैंक द्वारा लिया जाता है। दबाव होता था, लेकिन कोई भी फैसला ऐसा नहीं होता था, जो सरकार के दबाव से प्रभावित हो।
सुब्बाराव दो वित्त मंत्रियों प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 5 सितंबर, 2008 से 4 सितंबर, 2013 तक गवर्नर रहे।
चिदंबरम भी आज इस पैनल परिचर्चा में शामिल थे। चिदंबरम ने कहा कि जब उन्होंने अगस्त, 2012 में वित्त मंत्री का पदभार संभाला तो वह उम्मीद करते थे कि रिजर्व बैंक कुछ जोखिम उठाकर ब्याज दरें घटाए।
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सुब्बाराव ने हाल में अपनी पुस्तक में 2012 में चिदंबरम के साथ तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री ने मेक्सिको में आधिकारिक भोज में उनको नजरअंदाज किया था। चिदंबरम ने हालांकि उनकी इस बात को काटते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा शिष्टाचार निभाया है। चिदंबरम ने कहा कि मतभेदों के बावजूद संप्रग सरकार ने सुब्बाराव को दूसरा कार्यकाल दिया, जबकि रघुराम राजन को तीन साल बाद ही इस पद से विदाई लेनी पड़ रही है।
सुब्बाराव के गवर्नर के पांच साल के कार्यकाल पर चिदंबरम ने कहा कि पांच साल एक अच्छा विचार है जिसे स्वीकार करने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए।
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