नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में उछाल की चर्चाओं के बीच सरकार ने आज कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समय में शुरू की गई उदारीकृत रेमिटेंस (धन बाहर भेजने की) योजना से संभवत: भारतीयों की जमा में इजाफा हुआ है। हालांकि, सरकार ने कहा कि इसमें किसी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत को एक द्विपक्षीय संधि के तहत स्विट्जरलैंड की सरकार की तरफ से वहां के बैंकों में भारतीयों के खातों से जुड़ी जानकारियां अगले साल से मिलनी शुरू हो जाएंगी। भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन बढ़कर पिछले साल एक अरब स्विस फ्रैंक (7,000 करोड़ रुपए) पहुंच गया, जो एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इससे पहले लगातार तीन वर्ष से इसमें गिरावट आ रही थी।
इसकी तुलना में, स्विस बैंकों के सभी विदेशी ग्राहकों का धन 2017 में करीब 3 प्रतिशत बढ़कर 1,460 अरब फ्रैंक यानी करीब 100 लाख करोड़ रुपए हो गया। स्विस नेशनल बैंक द्वारा यह आंकड़ा जारी किया गया है। गोयल ने कहा कि भारत की स्विट्जरलैंड के साथ संधि है, जिसके तहत स्विट्जरलैंड सरकार एक जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2018 तक के सभी आंकड़े भारत को देगी। समझौते के अनुसार भारत को लेखा वर्ष की समाप्ति के बाद ये आंकड़े स्वत: मिलेंगे।
स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा पर गोयल ने कहा कि जिन आंकड़ों की आप बात कर रहे हैं वो हमारे पास आएंगे, इसलिए आप कैसे मान सकते हैं कि यह काला धन या गैर-कानूनी लेनदेन है? इसका करीब 40 प्रतिशत हिस्सा तो धन बाहर भेजने की उदार योजना (एलआरएस) के कारण है। यह योजना पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुरू की थी। इसके तहत एक व्यक्ति 2,50,000 डॉलर सालाना धन विदेश भेज सकता है।
गोयल ने कहा कि हमारे पास सारी जानकारी होगी। यदि कोई गलत करता हुआ पाया गया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। सरकार प्रणाली में गैरकानूनी धन के प्रवाह के लिए मुखौटा कंपनियों को बंद करने सहित विभिन्न उपाय कर रही है।
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