नई दिल्ली। पिछले 3-4 साल से देश में बैंकिंग व्यवस्था का तेजी से विस्तार हुआ है और इस विस्तार का फायदा देश के ग्रामीण बैंकों को भी मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से देश के राज्यों को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2014 से मार्च 2017 के दौरान देश में ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या में लगभग 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
3 साल में तेजी से फैला ग्रामीण बैंक शाखाओं का जाल
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 तक देश में कुल ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या 21251 दर्ज की गई है जबकि मार्च 2014 तक यह आंकड़ा 17901 था। मौजूदा केंद्र सरकार का कार्यकाल मई 2014 से शुरू हुआ था और सरकार ने आते ही देश में जनधन योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत देशभर में नए बैंक खाते खोले गए हैं। शायद यही वजह है कि 3 साल के दौरान देश में ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या भी बढ़ी है।
लगभग 10 साल जितना काम 3 साल में पूरा
मौजूदा केंद्र सरकार के समय ग्रामीण बैंक शाखाओं में हुई बढ़ोतरी की तुलना अगर पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल से की जाए तो ज्यादा अंतर नहीं है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2004 से मार्च 2014 के दौरान देश में ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या में 3417 की बढ़ोतरी हुई है जबकि अप्रैल 2014 से मार्च 2017 के दौरान इस संख्या में 3350 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मध्य भारत में सबसे ज्यादा ग्रामीण बैंक शाखाएं
क्षेत्र के लिहाज से देखा जाए तो देश में सबसे ज्यादा ग्रामीण बैंक शाखाएं मध्य भारत में है और सबसे कम पूर्वोत्तर में हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 तक मध्य भारत में कुल 6404, दक्षिण भारत में 4988, पूर्वी भारत में 4489, उत्तर भारत में 3048, पश्चिम भारत में 1463 और पूर्वोत्तर में सिर्फ 859 ग्रामीण बैंक शाखाएं हैं।
उत्तर प्रदेश में हैं सबसे ज्यादा ग्रामीण बैंक शाखाएं
राज्यों के लिहाज से देखा जाए तो देश में ग्रामीण बैंकों की सबसे ज्यादा शाखाएं सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हैं, RBI के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 तक उत्तर प्रदेश में 4188, बिहार में 2097, कर्नाटक में 1742, राजस्थान में 1489, मध्य प्रदेश में 1327 और आंध्र प्रदेश में 1171 ग्रामीण बैंक शाखाएं दर्ज की गई हैं।
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