नयी दिल्ली: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकारों को श्रम सुधारों को लागू करने और उद्योग के लिए बिजली की लागत को युक्तिसंगत बनाने का बीड़ा उठाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत को करोबार करने की सबसे आसान जगहों में शामिल कराने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए। उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए, कांत ने तिलहन और खाद्य तेलों की उच्च कीमतों के कारण उच्च खाद्य मुद्रास्फीति पर भी चिंता व्यक्त की।
पीएचडीसीसीआई ने एक बयान में कांत के हवाले से कहा, ‘‘राज्य सरकारों को श्रम सुधारों को शुरू करने और उद्योग को बिजली की लागत को युक्तिसंगत बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। हमें भारत को काराबार के लिए दुनिया के सबसे आसान स्थानों में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए।’’ बयान के अनुसार, कांत ने कहा कि अब सरकार के सभी स्तरों पर इस तरह की कार्रवाई की जरूरत है कि फार्मों और मंजूरी की प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत और सुव्यवस्थित किया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘एकल खिड़की मंजूरी, समय पर मंजूरी और भूमि अधिग्रहण ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर राज्य सरकारों को ध्यान देना चाहिए।’’ सामाजिक बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को एक अन्य रास्ता चिन्हित करते हुए, कांत ने कहा, ‘‘अब स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे का महत्व पहले से कहीं ज्यादा सामने आ गया है।’’
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत को वृद्धि के उदीयमान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी स्टोरेज निर्माण, ग्रीन हाइड्रोजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉकचैन, क्लाउड कंप्यूटिंग और जीनोमिक्स जैसे क्षेत्रों का उल्लेख किया।
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