बेंगलुरू। ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने गुरुवार को भगोड़ा घोषित शराब कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी विमानन कंपनी किंगफिशन एयरलाइंस लिमिटेड द्वारा बैंक ऋण न चुकाए जाने पर उनकी संपत्ति कुर्क करने और कर्ज वसूली करने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण की बेंगलुरू पीठ ने जून 2013 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के नेतृत्व में 17 बैंकों के एक समूह द्वारा संयुक्त तौर पर दायर की गई एक याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि बैंक माल्या की संपत्तियों और किंगफिशर को बेचकर 6,203 करोड़ रुपए और उस पर 26 जुलाई, 2013 से 11.5 प्रतिशत ब्याज वसूल सकते हैं।
एसबीआई के एक अधिवक्ता ने बेंगलुरू में संवाददाताओं को बताया, “न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के. श्रीनिवासन ने माल्या और एयरलाइन की संपत्तियां जब्त करके चक्रवृद्धि ब्याज समेत 9,091 करोड़ रुपए की ऋण राशि को वसूलने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।”
पिछले साल फरवरी में बैंकों के समूह ने वसूली याचिका की सुनवाई में तेजी लाने के लिए न्यायाधिकरण में गुहार लगाई थी, जिसके बाद 61 वर्षीय माल्या 2 मार्च, 2016 की आखिरी फ्लाइट से भारत छोड़कर चले गए थे।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक ने 2015 में माल्या, एयरलाइन और उनकी कंपनी यूबीएचएल (युनाइटेड ब्रिवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड) को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ (जानबूझकर ऋण अदायगी न करने वाला) घोषित कर दिया था।
एसबीआई के अलावा स्टेट बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, एक्सिस बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एवं कश्मीर बैंक, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने भी किंगफिशर को ऋण दिया था।
भारत के 900 करोड़ रुपए लेकर भागा माल्या ब्रिटेन के अपने बंगले में ऐश-मौज कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ‘देश का पहरेदार’ बता चुके हैं। उनकी पहरेदारी में विजय माल्या कैसे भाग जाता है, यह बड़ा सवाल है।
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