नई दिल्ली। रितेश अग्रवाल के नेतृत्व वाली आतिथ्य कंपनी ओयो भारत और चीन में 1,000 से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रही है। वह भारत में अपने कारोबार को पुनर्गठित कर रही है। पेटीएम के बाद ओयो दूसरी सबसे बड़ी यूनीकॉर्न कंपनी है और इसका बाजार मूल्य 10 अरब डॉलर के आसपास है।
भारत और दक्षिण एशिया में ओयो के कर्मचारियों को भेजे आंतरिक मेल में कंपनी के संस्थापक और समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितेश अग्रवाल ने कहा कि कुछ सहयोगियों को ओयो से बाहर एक नया करियर तलाश करने के लिए कहना आसान फैसला नहीं है। मेल में यह नहीं बताया गया है कि कितने लोगों की छंटनी की जा रही है।
हालांकि, मामले से जुड़े सूत्रों ने 1,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की योजना की बात कही। साथ ही इसके पीछे की वजह जरूरत के हिसाब से कर्मचारियों को रखना बताया गया है। अग्रवाल ने कहा कि यह 2020 के लिए नए रणनीतिक उद्देश्य का एक हिस्सा हैं। इसके तहत विभिन्न इकाइयों और परिचालन में टीमों को पुनर्गठन किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक ओयो की प्रवर्तक जापान की सॉफ्टबैंक ने ओयो को एबिटडा-लाभदायक में खरे नहीं उतरे वाले अनुबंधों या व्यवसायों को बंद करने के लिए 31 मार्च, 2020 तक का समय दिया है।
2013 में स्थापित ओयो के सेल्फ-ऑपरेटेड बिजनेस में ओयो टाउनहाउस, सिल्वरकी, कलेक्शन ओ, ओयो फ्लैगशिप और ओयो होम्स शामिल हैं। इसके सहयोगी कारोबार में वेडिंग्ज डॉट इन शामिल है।
सॉफ्टबैंक के विजन फंड ने अबतक ओयो में 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। ओयो में एयरबीएनबी इंक, सेक्विया कैपिटल और लाइटस्पीड वेंचर्स पार्टनर्स ने भी निवेश किया है। ओयो वर्तमान में भारत में 10,000 से अधिक होटलों के साथ मिलकर काम कर रही है।
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