बजट में करदाताओं को दी गई मानक कटौती है एक छलावा, संसद की स्थायी समिति ने कही ये बात
संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति ने बजट में नौरकरीपेशा करदाताओं के लिए घोषित 40,000 रुपए की मानक कटौती को छलावा बताते हुए कहा है कि यह कटौती पूरी और बिना किसी शर्त के होनी चाहिए।
नई दिल्ली। संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति ने बजट में नौरकरीपेशा करदाताओं के लिए घोषित 40,000 रुपए की मानक कटौती को छलावा बताते हुए कहा है कि यह कटौती पूरी और बिना किसी शर्त के होनी चाहिए। डा. एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति ने वर्ष 2018-19 की मंत्रालय से जुड़ी अनुदान मांगों पर जारी अपनी 58वीं रिपोर्ट में कहा है कि समिति यह सिफारिश करती है कि बजट में प्रस्तावित मानक कटौती को बिना किसी पूर्वशर्त और अन्य कटौतियों के अलग से दिया जाना चाहिए।
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि अलग से 40,000 रुपए की मानक कटौती देने से अनुमानित कर संग्रह में जो कमी होगी, जो कि काफी कम होगी, उसकी भरपाई आयकर विभाग अनुमानित कर श्रेणी में अधिक कर वसूली करके अथवा व्यवसाय और पेशे से होने वाली आय के तहत कर देने वालों से वसूली बढ़ाकर की जा सकती है।
समिति ने कहा है कि वेतनभोगी तबके का अपने वेतन से टीडीएस कटौती के जरिये सरकारी खजाने में 100 प्रतिशत कर योगदान करने के बावजूद ऐसे करदाताओं को इस बजट में मुश्किल से ही कोई कर राहत दी गई है। पिछले कुछ सालों से करछूट सीमा और कर में स्लैब कोई बदलाव नहीं किया गया है। ईमानदार करदाता काफी लंबे समय से इसमें बदलाव की उम्मीद लगाए बैठा है। मानक कटौती के तौर पर 40,000 रुपए की जिस राहत की बात की जा रही है वह आंख में छलावा साबित हुई है। क्योंकि इस मानक कटौती में परिवहन भत्ता और चिकित्सा खर्च को काट लिया जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के बजट में परिवहन भत्ता और सामान्य चिकित्सा पर होने वाले खर्च के स्थान पर 40,000 रुपए की मानक कटौती देने की घोषणा की है। इससे वेतनभोगी तबके को कागजी बोझ कम करने में मदद मिलेगी, उसे अब चिकित्सा खर्च के बिल आदि नहीं देने पड़ेंगे। जेटली ने कहा कि मानक कटौती का पेंशनभोगियों को ज्यादा लाभ मिलेगा। पेंशनभोगियों को परिवहन भत्ता अथवा चिकित्सा खर्च का लाभ नहीं मिलता है।
जेटली ने बताया कि 2016-17 में 1.89 करोड़ वेतनभोगियों ने कर रिटर्न दाखिल की और 1.44 लाख करोड़ रुपए का आयकर दिया, जबकि 1.88 करोड़ व्यक्तिगत व्यावसायियों और पेशेवरों ने 48,000 करोड़ रुपए का ही कर दिया। इस लिहाज से प्रत्येक वेतनभोगी ने औसतन जहां 76,306 रुपए का कर दिया वहीं व्यावसायी ने औसतन 25,753 रुपए का ही कर दिया।