नई दिल्ली। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सोमवार को कहा कि रुपए में गिरावट आने का निर्यातकों को फायदा नहीं होता है, इसके बजाये भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के दीर्घकालिक टिकाऊ विकास के लिए स्थिर मुद्रा जरूरी है।
चैंबर ने एक बयान में कहा कि मौजूदा वैश्वीकृत माहौल में कच्चा माल, माल परिवहन शुल्क, गोदाम और अन्य संबंधित सेवाओं जैसे अधिकांश खर्च विदेशी मुद्रा में या आयात समानता मूल्य पर अंकित होते हैं। इसके अलावा, अधिकांश निर्यातक ऑर्डर की बुकिंग करने के समय दीर्घावधि हेजिंग करते हैं, जबकि आयातक रुपए के मूल्यह्रास का हवाला देते हुए कीमतों में कमी लाने का दबाव डालते हैं।
सीआईआई की निर्यात-आयात की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष संजय बुधिया ने कहा कि इसलिए, यह वास्तविकता होने के बजाये एक धारणा ज्यादा है कि रुपए में गिरावट से निर्यातकों को मदद मिलती है। मौजूदा स्थिति में जरूरत है एक स्थिर मुद्रा की, जो कीमतों को तय करने और आज के प्रतिस्पर्धी वैश्विक पर्यावरण में ऑर्डर स्वीकार करने के लिए स्थिरता और निश्चितता प्रदान करे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी बढ़ाने के लिए 36,000 करोड़ रुपए के सरकारी बांड खरीदने की योजना की घोषणा की है, इसके बावजूद सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे कमजोर होकर 72.84 रुपए रह गया। शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा रुपया 11 पैसे की तेजी के साथ एक सप्ताह के उच्च स्तर 72.48 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। हाल के सप्ताह में, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और डॉलर के मजबूत होने के बीच रुपए में गिरावट रही। केंद्रीय बैंक रुपए में तेजी लाने के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है।
Latest Business News