श्रीलंका के राष्ट्रपति का 'तुगलकी फरमान' अर्थव्यवस्था पर पड़ा भारी, सिर्फ 2.8 अरब डॉलर बचा है फॉरेक्स रिजर्व
केमिकल फर्टिलाइजर पर प्रतिबंध और कीटनाशकों पर रोक से श्रीलंका में इस साल कृषि उपज में भारी गिरावट आई है।
नई दिल्ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का एक तुगलकी फरमान वहां की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ गया है और श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। श्रीलंका में रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और वहां का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि श्रीलंका की करेंसी में रिकॉर्ड गिरावट देखी जा रही है, श्रीलंका के रुपए में डॉलर का भाव 200 रुपए के भी पार चला गया है। श्रीलंका में महंगाई को देखते हुए लोग जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी न कर सकें इसके लिए राष्ट्रपति ने सेना के एक जनरल को ड्यूटी पर लगा दिया है।
दरअसल इस साल की शुरुआत में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने घोषणा की थी कि उनके देश में पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती की जाएगी, इसको लागू करने के साथ श्रीलंका की सरकार ने केमिकल फर्टिलाइजर और कीटनाशकों पर पूरी तरह से रोक लगा दी। केमिकल फर्टिलाइजर पर प्रतिबंध और कीटनाशकों पर रोक से श्रीलंका में इस साल कृषि उपज में भारी गिरावट आई है। श्रीलंका में मुख्य तौर पर मसालों और चाय की खेती होती है और इस साल वहां पर पैदावार में भारी गिरावट का अनुमान है। श्रीलंका के कुल निर्यात में 10 प्रतिशत योगदान अकेले चाय का है और इसके अलावा वहां पर छोटी इलायची तथा दालचीनी का भी बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। दुनियाभर में पैदा होने वाली कुल दालचीनी का 85 प्रतिशत उत्पादन अकेले श्रीलंका में किया जाता है।
केमिकल फर्टिलाइजर तथा कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक से श्रीलंका में कृषि उपज में कमी की वजह से अधिकतर कृषि उपज जैसे अनाज, फल, सब्जियां वगैरह के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। रोजमर्रा के इस्तेमाल की जरूरी वस्तुओं की कमी लगातार बढ़ती जा रही है और वहां के नागरिकों को अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए दुकानों के बाहर लंबी लाइनें लगाकर खड़ा होना पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए लोग जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी न करें, इसके लिए श्रीलंका की सरकार ने सेना के एक जनरल को नियुक्त किया है और उन्हें मांग और सप्लाई पर भी नजर रखने के लिए कहा गया है।
श्रीलंका में कृषि उत्पादन में आई कमी की वजह से उसका निर्यात तो कम हुआ ही है साथ में अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए उसकी आयात पर निर्भरता बढ़ गई है। यानि एक तरफ विदेशी मुद्रा की कमाई घटी है और दूसरी तरफ घर में रखी विदेशी मुद्रा का खर्च भी बढ़ गया है। हालात ऐसे हैं कि श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है, जुलाई 2019 में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर होता था जो अब घटकर 2.8 अरब डॉलर बचा है।
श्रीलंका में बढ़ती महंगाई और आर्थिक आपातकाल के पीछे सिर्फ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का ऑर्गेनिक खेती का तुगलकी फरमान ही वजह नहीं बना है बल्कि कोरोना के बढ़ते मामलों से प्रभावित हुआ पर्यटन उद्योग भी इसमें बड़ी वजह है। श्रीलंका की कुल जीडीपी में वहां के पर्यटन उद्योग की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत है और यह उद्योग विदेशी मुद्रा को अर्जित करने का मुख्य स्रोत भी है। लेकिन हाल के दिनों में वहां पर कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है सरकार को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है। कोरोना संक्रमण की वजह से श्रीलंका में पर्यटन उद्योग ठप्प पड़ा हुआ है जिस वजह से विदेशी मुद्रा का भंडार भी लगातार कम हो रहा है।
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