नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कॉरपोरेट गवर्नेंस पर गठित समिति द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (एमडी) पद अलग करने के फायदों पर जोर देने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस पर सबसे पहले अमल कर सकती हैं।
सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में अंतिम निर्णय सेबी करेगा, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पहले ही चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पद अलग कर चुके हैं। सार्वजनिक बैंकों ने सरकार और रिजर्व बैंक के निर्णय लेने के बाद ऐसा किया।
सेबी ने अभी दोनों पदों को अलग करना अनिवार्य नहीं किया है। उसके नियम के अनुसार, सूचीबद्ध कंपनियां हितों के टकराव से बचने के लिए स्वेच्छा से ऐसा निर्णय ले सकती हैं। समिति के एक सदस्य ने बताया कि कंपनी संचालन पर बनी सेबी की समिति नियामक को इस संबंध में सुझाव देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
समिति बेहतर कारोबार के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में दोनों पदों को अलग करने का सुझाव सेबी को दे सकती है। उन्होंने बताया कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इस तरह के नियम हैं। भारत में भी सार्वजनिक बैंकों में दोनों पदों को अलग करने का सकारात्मक परिणाम सामने आया है।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने कंपनी संचालन से संबंधित मुद्दों पर सलाह के लिए इस साल जून में 21 सदस्यों की समिति का गठन किया था।
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