नई दिल्ली। जो कोई भी भारतीय सड़कों पर ड्राइविंग करता है, वह यह अच्छी तरह जानता है कि स्पीड ब्रेकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। बिना चेतावनी निशान और बेतरतीब डिजाइन आपके शरीर की हड्डियों और कार की चैसिस को हिला कर रख सकते हैं।
यह इससे भी ज्यादा घातक हो सकते हैं। भारत के स्पीड ब्रेकर्स हर साल 10,000 से ज्यादा मौत के लिए जिम्मेदार हैं। पहले ही भारत के रोड नेटवर्क को दुनिया के सबसे खतरनाक रोड नेटवर्क में से एक माना जाता है। यहां हर रोज 400 मौत होती हैं, मतलब प्रत्येक चार मिनट में एक मौत।
भारत के सड़क परिवहन राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने पिछले हफ्ते लोकसभा में एक सवाल के उत्तर में स्पीड ब्रेकर्स से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का विस्तृत ब्योरा दिया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2015 मे 11,084 व्यक्तियों की मौत स्पीड ब्रेकर्स की वजह से हुई। 2014 में यह संख्या मामूली कम 11,008 थी।
- यह एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है, स्पीड ब्रेकर्स संबंधी दुर्घटनाओं में उत्तरी और दक्षिणी भारत का सबसे ज्यादा योगदान है।
- इस पर सरकार की प्रतिक्रिया कमजोर है। राधाकृष्णन ने अपने उत्तर में कहा कि सड़क मंत्रालय नेशनल हाईवे पर स्पीड ब्रेकर्स के निर्माण को हतोत्साहित कर रहा है।
- उन्होंने कहा कि हालांकि, कभी-कभी स्थानीय लोगों द्वारा अनाधिकृत स्पीड ब्रेकर कर निर्माण किया जाता है, लेकिन जैसे ही सड़क अधिकारियों को इनके बारे में पता चलत है इन्हें हटा दिया जाता है।
- बस सरकार का इतना ही काम है।
- यहां एक मानक के स्पीड ब्रेकर बनाने, उन पर निशान लगाने या चेतावनी चिन्ह लगाने की कोई योजना नहीं है।
- क्यों? मंत्री ने बताया कि ऐसा इसलिए क्योंकि सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (काउंसिल ऑफ साइंटीफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) ने स्पीड ब्रेकर्स की डिजाइन या इससे संबंधित चेतावनी बोर्ड के बारे में कोई भी नियम या मानक प्रस्तावित नहीं किए हैं।
- जब तक कोई नियम या मानक नहीं बनते तब तक सड़कों पर खून बहना जारी रहेगा।
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