नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) के लिये एक विशेष दिवालाशोधन समाधान रूपरेखा (Insolvency Resolution Framework) तैयारी के अंतिम चरण में है। भारतीय दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and bankruptcy board of india) के प्रमुख एमएस साहू ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक पहले से तैयार समाधान रूपरेखा पर भी काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि दिवालाशोधन कानून उभरती जरूरतों को नए तरीके से पूरा करने के लिये विकसित हो रहा है।
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के कुछ प्रावधानों को निलंबित कर दिया है। आईबीसी के तहत नये मामलों को दर्ज करने का काम फिलहाल निलंबित है। यह निलंबन एक साल तक के लिये बढ़ाया भी जा सकता है। यह पूछे जाने पर कि कोविड-19 के बाद चीजों के सामान्य होने के बाद अंतत: क्या प्रभाव रह सकता है, साहू ने कहा कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है और ध्यान तेजी से प्रतिक्रिया पर दिया जा रहा है। उन्होंने पीटीआई-भाषा को ईमेल के जरिये दिये एक साक्षात्कार में बताया, "आईबीसी अर्थव्यवस्था की उभरती जरूरतों को पूरा करने के इनोवेटिव तरीकों की पेशकश करने के लिये विकसित हो रहा है। संहिता की धारा 240ए के तहत एमएसएमई के लिये एक विशेष दिवाला समाधान ढांचा तैयारी के अंतिम चरण में है। एक पहले से तैयार दिवाला समाधान रूपरेखा के ढांचे पर भी काम चल रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इसके फलस्वरूप उद्यमिता पनपेगी। आईबीसी और मजबूत होकर उभरेगा।
सरकार ने मई में आईबीसी के तहत विभिन्न छूटों की घोषणा की, जिसमें कोविड-19 से संबंधित ऋण की छूट और एमएसएमई के लिये एक विशेष रूपरेखा शामिल है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी और उसके बाद लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में इन छूटों की घोषणा की थी।
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