इंदौर (मध्य प्रदेश): सोयाबीन का प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों के एक संगठन ने अनुमान जताया है कि देश में वर्तमान खरीफ सत्र के दौरान औसत उत्पादकता में इजाफे के कारण सोयाबीन की पैदावार करीब 14 फीसद बढ़कर लगभग 119 लाख टन पर पहुंच सकती है। संगठन ने मौजूदा सत्र में सोयाबीन का रकबा 120 लाख हेक्टेयर के आस-पास होने की संभावना जतायी है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने इस तिलहन फसल की पैदावार को लेकर अपने पहले अग्रिम अनुमान में ये आंकड़े जाहिर किए हैं। यह अनुमान सोपा के अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन सम्मेलन में रविवार को घोषित किया गया। सोपा के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 के खरीफ सत्र में देश में लगभग 118.4 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था और इस तिलहन फसल का उत्पादन 104.5 लाख टन के स्तर पर रहा था।
सोपा के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान देश में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता औसतन 991 किलोग्राम रहने का अनुमान है जो पिछली बार के मुकाबले 12.25 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2020 के खरीफ सत्र में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 883 किलोग्राम आंकी गई थी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन सत्र के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। एमएसपी की यह दर पिछले सत्र के मुकाबले 70 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।
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