नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका मंदी की चपेट में आ गया है। सांख्यिकी ब्यूरो ने मंगलवार को कहा कि 1994 में रंगभेद की नीति समाप्त होने के बाद से यह तीसरी बार है जब देश में मंदी आई है। वर्ष 2019 की अंतिम तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में देश मंदी की चपेट में आ गया। स्टैटिक्स स्टैटिक्स साउथ अफ्रीका ने कहा कि 2019 की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई। इससे पिछली तिमाही में इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
इससे दक्षिण अफ्रीका की 2019 में आर्थिक वृद्धि दर महज 0.2 प्रतिशत रही। वर्ष 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद यह वृद्धि दर का न्यूनतम स्तर है। 2018 में दक्षिण अफ्रीका की जीडीपी वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रही थी।
ब्यूरो के अनुसार कृषि और परिवहन क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से आर्थिक वृद्धि नीचे आई है। इसके अलावा निर्माण, खनन और विनिर्माण क्षेत्र का भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इसके कारण वित्त विभाग के अच्छे योगदान और सरकार के खर्च के बावजूद अच्छा प्रभाव नहीं पड़ा।
जब दो तिमाही में लगातार आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आती है तब मंदी की स्थति कही जाती है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2008-09 तथा उसके बाद 2018 में मंदी की चपेट में आया था।
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