नई दिल्ली। सेब आयात के मानदंड में ढील देते हुए सरकार ने कोलकाता, चेन्नई, मुंबई और कोच्चि के समुद्री बंदरगाहों और हवाईअड्डों के जरिये इस फल के आयात की छूट दी है। इसके अलावा इसे दिल्ली हवाईअड्डे और राजधानी के ड्राय पोर्ट के साथ-साथ थल सीमाओं पर बने पोर्ट के रास्ते से भी इस फल के आयात की छूट दी है। सरकार की इस पहल के कारण घरेलू बाजार में इस फल की उपलब्धता बढ़ाने में और कीमतों को कम करने में मदद मिल सकती है।
पिछले वर्ष सितंबर में सरकार ने केवल महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिये सेब आयात की छूट दे रखी थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने नियमों में ढील को अधिसूचित कर दिया है। आयातकों ने पूर्व में इस रोक को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने इसे गैर शुल्क बाधा बताया था। अमेरिकी प्राधिकारियों ने भी इन बाधाओं पर अपनी आपत्तियां व्यक्त की थीं।
भारत में सर्वाधिक खपत होने वाले आयातित फल में सेब आता है। भारत दुनिया में सेब का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रुपए की विनियम दर घट कर प्रति डॉलर 66 तक चली गई है। इससे आयात महंगा हो गया है। देश में सेब का उत्पादन जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों तक सीमित है। भारत सेब का आयात अमेरिका, चीन, न्यूजीलैंड, इटली, ईरान और अफगानिस्तान के अलावा कुछ अन्य देशों से करता है। अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान भारत का सेब आयात 15.36 करोड़ डॉलर का हुआ था। सेब का घरेलू उत्पादन 2014-15 में घटकर 18.85 लाख टन रह जाने का अनुमान है, जो इससे पिछले वर्ष 24.98 लाख टन का हुआ था।
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