3rd DeMo anniversary: 33% लोगों ने कहा- नोटबंदी की वजह से आई मंदी, 2000 रुपए के नोटों की हो रही है जमाखोरी
3rd DeMo anniversary: बड़ी संख्या में 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी की गई है। यह नोट अब सर्कुलेशन में नहीं हैं।
नई दिल्ली। 8 नवंबर का दिन देश में नोटबंदी के तौर पर याद किया जाता है और आज इसकी तीसरी वर्षगांठ है। 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे देश को संबोधित करते हुए पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। नोटबंदी को 3 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ऑनलाइन कम्यूनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स ने 50,000 लोगों के बीच एक सर्वे किया और यह पता लगाया कि नोटबंदी को लेकर लोगों के मन में क्या है।
सर्वे में शामिल कुल लोगों में से एक तिहाई का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था में मंदी है, जबकि 28 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें इसका कोई नकारात्मक असर नजर नहीं आता। 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र में कई लोगों को आय का नुकसान हुआ है।
नोटबंदी के सबसे बड़े फायदे पर 42 प्रतिशत लोगों का कहना है कि इससे बड़ी संख्या में टैक्स चोरी करने वालों का पता चला है और अब वह टैक्स नेट में आ गए हैं। 25 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार के इस कदम का कोई फायदा नहीं हुआ। 21 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी से कालाधन में कमी आई और 12 प्रतिशत लोगों का कहना है कि इससे टैक्स संग्रह में वृद्धि हुई है।
8 नवंबर, 2016 तक 15.41 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 500 और 1000 रुपए के नोट चलन में थे। 99.3 प्रतिशत या 15.31 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट वापस बैंकिंग सिस्टम में आ चुके हैं। केवल 10,720 करोड़ रुपए का कालाधन था जो बैंकिंग सिस्टम में लौटकर नहीं आया।
2000 रुपए के नोटों की हो रही है जमाखोरी
नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव एससी गर्ग ने कहा कि 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी हो रही है। सरकार को इसे भी बंद करना चाहिए। वित्त मंत्रालय से हटाकर बिजली मंत्रालय में भेजे जाने पर गर्ग ने अपनी नौकरी से वीआरएस ले लिया है। उन्होंने कहा कि सिस्टम में अभी भी नकद लेनदेन सबसे ऊपर बना हुआ है। 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी की जा रही है। डिजिटल भुगतान पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है। यह भारत में भी आगे बढ़ रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है।
गर्ग ने कहा कि बिना किसी दिक्कत के इन नोटों को बंद किया जा सकता है। इसका एक आसान तरीका है कि इन नोटों को बैंक खातों में जमा कर दिया जाए। इसका उपयोग प्रक्रिया के प्रबंधन में किया जा सकता है। आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ने कहा कि भुगतान करने के बेहद सुविधाजनक डिजिटल मोड तेजी से नकदी की जगह ले रहे हैं। हालांकि भारत को इस दिशा में अभी लंबी दूरी तय करना है क्योंकि देश में 85 प्रतिशत से अधिक लेनदेन में अभी भी नकदी की मौजूदगी है।
(स्रोत: पीटीआई)