नयी दिल्ली। उद्योग संगठन इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन (आईएसी) ने स्वच्छ वाहन ईंधन को बढ़ावा देने के लिये ऑटो एलपीजी के साथ-साथ गैस ईंधन के लिये कन्वर्जन किट पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती की मांग की है। वाहनों में ईंधन के रूप में एलपीजी का उपयोग होता है। यह सर्वाधिक स्वच्छ ईंधन में शामिल है जिस पर फिलहाल 18 प्रतिशत की दर से कर लगता है। वहीं ऑटो एलपीजी/सीएनजी कन्वर्जन किट पर यह 28 प्रतिशत है।
संगठन ने बयान में कहा कि स्वच्छ ईंधन पर उच्च दर से जीएसटी सरकार के हरित वाहनों को बढ़ावा देने के रुख के विपरीत है। आईएसी के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा, 'हम ऑटो एलपीजी जैसे पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने के लिये नीतियां तैयार करने को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। ऑटो एलपीजी को दुनिया भर की सरकार बढ़ावा दे रही हैं। लेकिन भारत में इसको लेकर नीतियां भेदभावपूर्ण है। इस पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। इसी प्रकार, ऑटो एलपीजी और सीएनजी कन्वर्जन किट पर सबसे ऊंची कर की 28 प्रतिशत की दर लागू होती है। इसका मतलब है कि या तो यह विलासिता का सामान है या फिर तंबाकू जैसा अहितकर उत्पाद।'
उद्योग संगठन ने कहा कि एलपीजी दुनिया में सर्वाधिक उपयोग होने वाला वैकल्पिक ईंधन है। इसने हवा गुणवत्ता में सुधार की बात साबित की है। पर्यावरण चिंता के बीच ऑटो एलपीजी की वैश्विक खपत में पिछले 10 साल में 40 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। दक्षिण कोरिया, तुर्की, पोलैंड, जापान, आस्ट्रेलिया, इटली, मेक्सिको और रूस जैसे देशों ने सफलतापूर्वक इस हरित ईंधन को अपनाया है। आईएसी देश में एलपीजी ऑटो को बढ़ावा देने वाली नोडल एजेंसी है। इसके सदस्यों में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां, एलपीजी आधारित वाहनों का विपणन करने वाली, किट आपूर्तिकर्ता और उपकरण विनिर्माता शामिल हैं।
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