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Rail Budget 2016: सुरेश प्रभु ने पेश किया रेल बजट, इन छह बातों से समझिए देश में रेलवे की स्थिति

पिछले साल सुरेश प्रभु ने अपने रेल बजट भाषण से सभी को चौंका दिया था। बजट में ना तो नई ट्रेन की घोषणा की और ना ही किराए में कटौती जैसी लोकलुभावन बातें कहीं।

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नई दिल्ली। पिछले साल सुरेश प्रभु ने अपने रेल बजट भाषण से सभी को चौंका दिया था। बजट में ना तो नई ट्रेन की घोषणा की और ना ही किराए में कटौती जैसी लोकलुभावन बातें कहीं। उन्होंने सीधे रेलवे के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अति आवश्यक निवेश और कमाई के साधन बढ़ाने पर जोर दिया। इस बार उन्होंने ने यात्रियों के सर्विस पर जोर दिया है। इन छह चार्ट की मदद से आप भारतीय रेलवे की मौजूदा तस्वीर का अंदाजा लगा सकते हैं।

रेलवे में जारी रहेगा निवेश

पिछले बजट में रेल मंत्री ने पांच साल के लिए एक 8.5 लाख करोड़ रुपए निवेश योजना की घोषणा की थी। एक्सपोर्टर्स का मानना है कि यह इस साल भी जारी रहेगा। उनके मुताबिक सरकार इस साल भीड़ को कम करने के लिए रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर, सेफ्टी, वर्तमान रोलिंग स्टॉक का अपग्रेडिंग, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और स्टेशन डेवलपमेंट पर फोकस करेगी।

नए निवेशक तलाशने की होगी कोशिश

पिछले साल, प्रभु ने कहा था कि भारतीय रेल में निवेश बढ़ाने के लिए फाइनेंशियल इन्स्टीट्यूशन्स और मल्टीलेटरल एजेंसीज के साथ समझौता किया जाएगा। मार्च 2015 में, उनके मंत्रालय ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के साथ 1.5 लाख करोड़ रुपए निवेश के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

भारतीय रेलवे की मौजूदा तस्वीर

RAIL CHART GALLERY

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यात्री किराए में बढ़ोतरी की संभावना, मिलेगी ज्यादा सुविधा

माल ढुलाई से रेलवे का रेवेन्यु ग्रोथ मेनटेन हो रहा है, लेकिन यात्रियों से होने वाली कमाई अभी भी एक समस्या है। भारत का रेल नेटवर्क एशिया में सबसे बड़ा है और 2.3 करोड़ लोग रोजाना यात्रा करते हैं। ऐसे में रेलवे की कमाई बढ़ाने के लिए प्रभु किराए में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसके एवज में मंत्रालय सुविधाओं में सुधार करने की कोशिश कर रहा है। मुफ्त वाई-फाई से लेकर पिज्जा डिलीवरी तक रेल में सभी सर्विस की शुरूआत हो चुकी है। अब लोगों की निगाहें प्रभु के घोषणाओं पर टिकी है।

सातवें वेतन आयोग से बढ़ेगा बोझ

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े नौकरी देने वालों में से एक है। साल दर साल लोगों की संख्या घट रही है लेकिन वेतन बिल बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2013 के दौरान सरकार के कुल वेतन भुगतान में रेलवे की 35 फीसदी हिस्सेदारी रही। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश जिसमें सैलरी में 11,350 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी और 9500 करोड़ रुपए पेंशन के लिए देने का असर इस रेलवे बजट में दिखाई देगा।

ऑपरेटिंग रेशियो पर पड़ेगा बोझ

रेलवे पर पड़ रहा अतिरिक्त बोझ उसके ऑपरेटिंग रेशियो पर भी असर डालेगा। वित्त वर्ष 2015 में रेलवे को हर 100 रुपए रेवेन्यु जेनरेट करने के लिए 91.8 रुपए की लागत आती है, जिसको घटाकर 88.5 रुपए करने का लक्ष्य पाना है। खर्च और कमाई के बीच घटते अंतर को देखते हुए सुरेश प्रभु इस बजट में खर्चों में कटौती की कोशिश करेंगे।

वैगनों की संख्या बढ़ाने का सही समय

इस बीच, अच्छी खबर यह है कि माल ढुलाई बढ़ रहा है। यह वैगनों की संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए सही समय हो सकता है।

इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बढ़ाने की होगी कोशिश

पावर की बात करें तो देश में ट्रेन का नेटवर्क 65,000 किलोमीटर में फैला है। भारतीय रेल हर साल 2.6 अरब लीटर डीजल खपत करती है। इसके कारण कुल फ्यूल बिल 30,000 करोड़ रुपए पहुंच गया है। इस पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन का बेड़ा बढ़ाने पर फोकस कर रहा है। विदेशी कंपनियां इस मौका का फायदा उठाना चाहती हैं। इसी को देखते हुए फ्रांस की कंपनी ने अगले 11 वर्षों में 800 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सप्लाई करने की डील साइन की है।

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