ब्रेक्जिट ने दिलाई 2008 की महामंदी की याद, क्या चांदी फिर पहुंचेगी 70,000 रुपए के पार?
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया अगले डेढ़-दो साल की बात करें तो चांदी एक बार फिर 65,000-70,000 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकती है।
“ब्रेक्जिट जनमत संग्रह की मार से वैश्विक वित्तीय बाजार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और ऐसे में विश्व अर्थव्यवस्था के समक्ष नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं, जबकि दुनिया अभी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पूरी तरह उबर नहीं पाई है।”
यह टिप्पणी पिछले एक हफ्ते में तमाम मार्केट एक्सपर्ट या अर्थशास्त्रियों की ओर से आई प्रतिक्रियाओं का हिस्सा नहीं बल्कि चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग की है। ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने की घटना से पैदा होने वाला आर्थिक संकट अगर क्यांग को 2008 की मंदी की याद दिलाता है तो निश्चित तौर पर इस प्रतिक्रिया के मायने दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाओं और बाजार के लिए और गहरे हो जाते हैं। 2008 की महामंदी को याद करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बाजार के तमाम विशेषज्ञ सोने-चांदी की कीमतों में 8 साल पुराने इतिहास को दोहराने की बात कहने लगे हैं।
पहले याद करो 2008 की मंदी
2008 को याद करें तो सेंसेक्स को 21,000 से 7700 और चांदी को 23,600 रुपए प्रति किलो से 73,600 रुपए प्रति किलो के स्तर तक ले जाने के लिए महामंदी ही जिम्मेदार थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर डालें तो कॉमैक्स पर चांदी नवंबर 2008 में 9 डॉलर प्रति औंस थी, जो कि अप्रैल 2011 में 47.15 डॉलर प्रति औंस पहुंच गई। हमने सभी आंकड़े 2008 से 2011 के बीच के इसलिए लिए हैं क्योंकि इसी दौरान बाजार में सबसे ज्यादा तेजी और मंदी दर्ज की गई।
ब्रेक्जिट का हुआ कितना असर
ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के दुनियाभर के शेयर बाजारों में निवेशकों को कुल 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, वहीं सोने-चांदी की कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 24 जून (शुक्रवार) को चांदी की कीमतें 18.37 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गईं। ग्लोबल मार्केट में आई तेजी का असर घरेलू बाजार में भी दिखा और चांदी 1,000 रुपए की बड़ी उछाल के साथ 42,300 रुपए प्रति किलो हो गई। वहीं यूरोपीयन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर होने की खबर के कारण सोने की कीमत 26 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गई। 24 जून को सोने में 1200 रुपए से भी अधिक तेजी दर्ज की गई।
अब निगाहें 70,000 पर
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने इंडियाटीवी पैसा को बताया कि ब्रिटेन के बाद यूरो जोन से बाहर होने का नंबर जर्मनी का हो सकता है। ऐसे में ग्लोबल स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ेंंगी और सुरक्षित निवेश के लिए सोने-चांदी की मांग बढ़ेगी। केडिया ने यह भी कहा कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तेजी से काम कर रहा है। इससे मेटल्स की डिमांड बढ़ेगी। केडिया के मुताबिक 2016 के अंत चांदी की कीमत 46,000 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकती है। वहीं अगले डेढ़-दो साल की बात करें तो चांदी एक बार फिर 65,000-70,000 रुपए प्रति किलो का पुराना भाव दिखा सकती है।
दिसंबर तक 35 हजारी होगा सोना
कमोडिटी ब्रोकरेज फर्म कॉमट्रेंड्ज के रिसर्च डायरेक्टर ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, ‘ब्रेक्जिट के बाद अनिश्चितता बढ़ी है। यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन अपनी-अपनी इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर सकते हैं। निर्यात बढ़ाने के लिए वे प्रतिस्पर्धा में करेंसी की कीमत भी घटा सकते हैं। अमेरिका में चुनाव और चीन में कर्ज का ऊंचा स्तर भी अस्थिरता बढ़ा सकते हैं। ऐसे में सोने का आकर्षण बढ़ेगा। वहीं एसएमसी ग्लोबल सिक्यूूरिटीज की एवीपी वंदना भारती ने कहा कि गोल्ड ईटीएफ की डिमांड ज्यादा रहेगी। इसके साथ त्योहारी मांग से भी कीमतें बढ़ेंगी। वंदना के मुताबिक घरेलू बाजार में भाव 35,000 रुपए प्रति 10 ग्राम और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1,440 डॉलर प्रति औंस तक जा सकते हैं।