नई दिल्ली। आप किसी भी समय फिल्म देखना चाहें, रेस्तरां में कुछ खाना चाहें या मॉल में खरीदारी करना चाहें। कम से कम कानून आपके आड़े नहीं आएगा। केंद्र सरकार एक आदर्श कानून प्रस्तावित करने जा रही है, जिसमें इन प्रतिष्ठानों को 24×7 खुला रखने का प्रावधान होगा और जिसका अनुकरण राज्य सरकारें कर सकती हैं।
प्रस्तावित आदर्श कानून के बारे में श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय एक आदर्श कानून तैयार कर रहा है। हमारा मानना है कि श्रम मंत्रालय की ओर से कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए। इसे लागू करना या न करना राज्यों की इच्छा पर निर्भर है। देश के 10,200 सिंगल-स्क्रीन सिनेमा हॉल, 600 से अधिक मॉल्स और दो लाख से अधिक रेस्तरां को इस आदर्श कानून का लाभ मिल सकता है। अग्रवाल ने यहां श्रम शक्ति भवन में स्थित अपने कार्यालय में कहा कि हम यह आदर्श कानून दो सप्ताह में कानून मंत्रालय में भेजेंगे। उसके बाद के दो सप्ताह में यह मंत्रिमंडल तक पहुंचेगा। एक से डेढ़ महीने में यह राज्यों तक पहुंच जाएगा।
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संसद को कानून पारित करने की जरूरत नहीं है। सरकार आदर्श विधेयक का एक मसौदा बनाना चाहती है, जिससे पूरे देश में कानूनी प्रावधानों में समानता आ सके और सभी राज्य आसानी से इसे स्वीकार कर सकें न कि अपने लिए अलग-अलग नियम बनाएं। यह नरेंद्र मोदी सरकार की पूरे भारत को एक बाजार बनाने की योजना का हिस्सा है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक इससे रोजगार बढ़ेगा। महिलाओं का भी सशक्तीकरण होगा। अधिकारियों के मुताबिक, इन प्रतिष्ठानों की कार्यावधि को लेकर अभी अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियम हैं। साप्ताहिक अवकाश और सार्वजनिक छुट्टियां भी अलग-अलग दिन होती हैं। प्रस्तावित आदर्श कानून में इस मामले में पूरी आजादी दी जाएगी। प्रस्तावित आदर्श कानून में महिलाओं को रात की पाली में काम करने की आजादी दी जाएगी और प्रोन्नति, स्थानांतरण और नौकरी में सभी तरह के लैंगिक भेद-भाव खत्म किए जाएंगे।
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