'मेक इन इंडिया' से बदलाव, आयात की जगह अब 3 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात: PM
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने पीएलआई योजना के तहत 148 अरब डॉलर के निवेश से जुड़े घरेलू तथा अंततरराष्ट्रीय कंपनियों के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत सात साल पहले 8 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात करता था और अब देश इन्ही उपकरणों का 3 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात कर रहा है। राष्ट्र को 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा की है। उन्होंने कहा, ‘‘योजना से जो बदलाव आये हैं, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उसका उदाहरण है। सात साल पहले, हम करीब 8 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात करते थे। अब आयात कम हुआ है। आज हम 3 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात कर रहे हैं।’’
उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने पीएलआई योजना के तहत 148 अरब डॉलर के निवेश से जुड़े घरेलू तथा अंततरराष्ट्रीय कंपनियों के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। देश में उदारीकरण नीतियों को आगे बढ़ाने का परिणाम है कि आज रिकार्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आ रहा है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी नये रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। मोदी ने देश के उद्योगों से ‘वैश्विक स्तरीय विनिर्माण’ का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने भारतीय उत्पादों को विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाला बनाने पर जोर देते हुये कहा, ‘‘जो उत्पाद हम बाहर भेजते हैं वह केवल किसी एक कंपनी का उत्पाद नहीं होता है बल्कि वह उत्पाद भारत की पहचान होता है। उस उत्पाद से भारत की प्रतिष्ठा जुड़ी होती। इसलिये भारत में निर्मित उत्पाद - बेहतर होने चाहिये।’’
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र होना अनिवार्य है।’’ मोदी ने कहा कि देश आज ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये हर साल 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च देश को करना पड़ता है।