नई दिल्ली। कालाधन से निपटने के प्रयासों पर आगे बढ़ते हुए सरकार शेल (मुखौटा) कंपनियों से जुड़े एक लाख से अधिक निदेशकों को अयोग्य घोषित करेगी। सरकार ने इसकी घोषणा हाल में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा 2.09 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द किए जाने के बाद की है। मंत्रालय ने इन कंपनियों का पंजीकरण लंबे समय से कोई कारोबारी गतिविधि नहीं करने के चलते रद्द किया था।
इसके अलावा बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे इन कंपनियों के निदेशकों या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों के खातों के परिचालन पर रोक लगाएं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि मंत्रालय ने 12 सितंबर, 2017 तक कंपनी कानून 2013 की धारा 1642 ए के तहत अयोग्य घोषित करने के लिए 1,06,578 निदेशकों की पहचान की है।
धारा 164 के तहत किसी कंपनी का कोई निदेशक अगर तीन साल लगातार अपने वित्तीय लेनदेन या वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो वह उसी कंपनी में पुन: नियुक्त नहीं हो सकता और न ही किसी अन्य कंपनी में पांच साल तक नियुक्त हो सकता है। मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि शेल कंपनियों के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। अभी मंत्रालय 2.09 लाख कंपनियों के दस्तावेजों को खंगाल रहा है और इनके निदेशकों की पहचान करने और इन कंपनियों के पीछे छिपे असली लाभार्थियों का पता लगाने का काम कर रहा है।
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