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मुखौटा कंपनियों के निदेशकों ने बैंक खातों से अगर की धन की हेरा-फेरी, तो हो सकती है 10 साल तक की जेल

यदि मुखौटा कंपनियों के निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा बैंक खातों से धन की हेराफेरी की कोशिश की जाती है, तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है।

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नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि जिन 2.09 लाख मुखौटा कंपिनयों का पंजीकरण रद्द हो चुका है, यदि उनके निदेशकों या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा कंपनी के बैंक खातों से धन की हेराफेरी की कोशिश की जाती है, तो उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा जिन मुखौटा कंपनियों के निदेशकों ने तीन या अधिक वर्ष के लिए अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं, उन्हें किसी अन्य कंपनी में ऐसे किसी पद पाने से अयोग्य कर दिया जाएगा।

सरकार ने कुछ मामलों में मुखौटा कंपनियों के साथ जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिवों तथा कॉस्ट एकाउंटेंट की पहचान भी की है। कालाधन के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा कि और मुखौटा कंपनियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और इन इकाइयों के पीछे वास्तविक लाभार्थी और लोगों को तलाशने का काम किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने 2.09 लाख से अधिक कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। इसका कारण यह है कि इन कंपनियों ने लंबे समय से कोई कारोबारी गतिविधयों को अंजाम नहीं दिया हैं। साथ ही बैंकों को उनके बैंक खातों पर पाबंदी लगाने का निर्देश भी दिया गया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है, उसके निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कंपनी के बैंक खाते से धन की हेरा-फेरी की कोशिश करते हैं तो उन्हें छह महीने से लेकर 10 साल तक की जेल हो सकती है।

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