नई दिल्ली। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) नोटबंदी के दौरान ज्यादा धनराशि वाले कथित संदिग्ध लेनदेन के कम से कम 18 मामलों की जांच करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। अधिकारी ने कहा कि सरकार अवैध धन के प्रवाह पर शिकंजा कसना जारी रखे हुए है। आधिकारिक रिकॉर्ड में लंबे समय से निष्क्रिय पड़ी करीब 2.24 लाख कंपनियों और तीन लाख से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य घोषित करने के बाद कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय आंकड़ों की जांच-पड़ताल करके जानकारी एकत्र करने में जुटा है।
जांच के दौरान अधिकारियों को संदिग्ध लेनदेन के बारे में पता चला है। इसमें कुछ पंजीकृत कंपनियों के ज्यादा मात्रा में किए गए धन के लेनदेन भी शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी के दौरान कथित संदिग्ध लेनदेन में लिप्त रहीं कम से कम 18 कंपनियों की SFIO जांच करेगा।
अवैध धन प्रवाह और भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने की कोशिश के हिस्से के रुप में सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने 23 नवंबर को कहा था कि बैंकों से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक करीब 50,000 अपंजीकृत कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान करीब 17,000 करोड़ का लेनदेन किया है।
कॉरपोरेट मामले के मंत्रालय ने बताया कि 56 बैंकों से मिली जानकारी के आधार पर यह बात सामने आई है कि 35,000 कंपनियों के 58,000 बैंक खातों से नोटबंदी के बाद 17,000 करोड़ रुपए का लेनदेन किया गया।
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