नई दिल्ली। कारोबारियों और इंडस्ट्री से जुड़ी संस्था एसोचैम ने कहा है कि सभी स्पेक्ट्रम आवंटन तथा लाइसेंसी के बीच लेनदेन पर 15 फीसदी का सेवा कर लगाने के प्रस्ताव से वित्तीय दूरसंचार उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। एसोचैम का मानना है कि इससे डिजिटल इंडिया तथा स्मार्ट सिटीज जैसी पहल पर भी जोखिम का खतरा पैदा होगा।
एसोचैम ने कहा कि स्पेक्ट्रम का आवंटन एक स्वायत्त कार्य है, वैश्विक स्तर पर इसे आर्थिक गतिविधि के रूप में नहीं देखा जाता है। ऐसे में इस पर कर नहीं लगना चाहिए। उद्योग मंडल ने कहा कि इस तरह के कार्य पर कर लगाने एक बेहद प्रतिगामी कदम है। इसका प्रभाव भारत जैसे विकासशील देशों पर विकसित देशों की तुलना में कहीं अधिक होगा।
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वित्त मंत्री अरण जेटली को लिखे पत्र में एसोचैम ने कहा कि सरकार द्वारा दूरसंचार आपरेटरों को दिए गए स्पेक्ट्रम पर सेवा कर लगाना उद्योग के विकास में बाधक बनेगा। इससे सेवा के प्रावधान की लागत बढ़ेगी, जिससे आम आदमी सीधे प्रभावित होगा। पत्र में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम पर प्रस्तावित शुल्क एक साल में ही अनुमानत: 30,000 करोड़ रुपए बैठेगा। इससे पहले से वित्तीय संकट झेल रहे उद्योग की स्थिति और खराब होगी। एसोचैम ने कहा कि यह राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2011 के उलट है, जो पहुंच तथा लागत कम करने पर केंद्रित है। उद्योग मंडल ने जेटली से मांग की है कि यह प्रस्तावित सेवा कर निजी आपरेटरों पर स्पेक्ट्रम के व्यापार तक सीमित रहना चाहिए।
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