सीरम इंस्टीट्यूट जून तक लॉन्च कर सकती है COVID-19 वैक्सीन, एक हजार रुपए तक हो सकती है कीमत
पूनावाला ने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद इस वैक्सीन का पुणे व मुंबई में 4 से 5 हजार लोगों पर परीक्षण किया जाएगा।
नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मंगलवार को कहा कि वह ऑक्सफोड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण अगस्त अंत तक शुरू करेगी। कंपनी ने कहा कि 5000 भारतीय मरीजों पर इस वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए आवश्यक मंजूरियां हासिल करने की कोशिश की जा रही है। कंपनी का दावा है कि यदि सबकुछ ठीक रहता है तो वह जून, 2021 तक इस वैक्सीन को बाजार में लॉन्च कर देगी।
दुनिया में सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा कि 30 करोड़ डोज बनाने के लिए कंपनी 20 करोड़ डॉलर खर्च करेगी, जो एक जोखिम है। क्योंकि वैक्सीन को लॉन्च करने के लिए आवश्यक मंजूरी मिलने से पहले ही हमें यह करना होगा। उन्होंने दावा किया कि इस साल के अंत तक वैक्सीन की परीक्षण रिपोर्ट आने की संभावना है। ऑक्सफोड यूनिवर्सिटी ने सोमवार को घोषणा की थी कि वैक्सीन के अभी तक के परीक्षण से संतोषजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं। पूनावाला ने बताया कि ऑक्सफोड यूनिवर्सिटी ने भारत और अन्य 60 देशों में इस वैक्सीन की आपूर्ति के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के साथ गठजोड़ किया है। इसके तहत 3 अरब डोज का निर्माण किया जाएगा।
अदार पूनावाला ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन की कीमत कम से कम रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन पर शुरुआत में कोई लाभ नहीं कमाया जाएगा। पूनावाला ने दावा किया कि भारत में कोविड-19 की कीमत 1000 रुपए या इससे भी कम हो सकती है। पूनावाला ने कहा कि इससे पहले किसी वैक्सीन के लिए इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ी। हम कोरोना वैक्सीन के कारण कई प्रोडक्ट पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। कोरोना महामारी के बढ़ते संकट को देखते हुए ऐसा लगता है कि अगले दो-तीन साल तक इस वैक्सीन पर ही फोकस करना होगा, क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है।
पूनावाला ने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद इस वैक्सीन का पुणे व मुंबई में 4 से 5 हजार लोगों पर परीक्षण किया जाएगा। ये लोग कोरोना संक्रमित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत में बुजुर्गों व स्वास्थ्य कर्मियों पर भी इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण की प्रक्रिया के साथ ही साथ कंपनी देश में वैक्सीन का निर्माण शुरू करने के लिए एक विशेष मंजूरी के लिए भी आवेदन करेगी। इससे कंपनी एक वाणिज्यिक जोखिम में आ जाएगी। यदि वैक्सीन अंतिम चरण में फेल होती है तो कंपनी को लगभग 20 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा।
स्पेशल मंजूरी मिलने के बाद कंपनी अक्टूबर से प्रति माह 7 करोड़ डोज का उत्पादन करेगी और दिसंबर तक इनकी संख्या प्रति माह 10 करोड़ तक करने की योजना है। पूनावाला ने कहा कि सबकुछ यदि योजना के मुताबिक होता है तो मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद तीसरे चरण के परीक्षण में दो माह का समय लगेगा और वैक्सीन को अंतिम मंजूरी नवंबर तक मिल सकती है। इस परिदृश्य में वैक्सीन को अगले साल की पहली या दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है।