नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और गौतम अडाणी (Gautam Adani) जैसे उद्यमियों को अब जल्द ही अपनी चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर में से एक पद को छोड़ना होगा। बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने सूचीबद्ध कंपनियों के कामकाज के संचालन के ढांचे में सुधार लाने के लिए भूमिकाओं को अलग-अलग करने का प्रावधान किया है। सेबी ने जनवरी, 2020 में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को विभाजित करने की व्यवस्था को लागू किया था। लेकिन कंपनियों की मांग पर इसे दो साल के लिए टाल दिया गया। अब ये नई व्यवस्था एक अप्रैल, 2022 से लागू होगी।
भूमिका अलग करने से प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर नहीं होगी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के प्रमुख अजय त्यागी ने कहा है कि चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों (सीएमडी) की भूमिका को अलग-अलग करने के नए ढांचे का मकसद प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करना नहीं है। इस नई व्यवस्था से सूचीबद्ध कंपनियों के कामकाज के संचालन के ढांचे में सुधार लाने में मदद मिलेगी। त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इससे किसी एक व्यक्ति के पास बहुत अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भूमिकाओं को अलग करने से संचालन का ढांचा अधिक बेहतर और संतुलित हो सकेगा।
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53 प्रतिशत कंपनियां कर रही हैं अनुपालन
त्यागी ने कहा कि दिसंबर, 2020 तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से करीब 53 प्रतिशत नियामकीय प्रावधान का अनुपालन कर रही थीं। सेबी ने जनवरी, 2020 में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को विभाजित करने की व्यवस्था को दो साल के लिए एक अप्रैल, 2022 तक टाल दिया है। कंपनियों की ओर से इसकी मांग की गई थी। सेबी नियमों के तहत शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों को एक अप्रैल, 2020 से चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) की भूमिका को विभाजित करना था।
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हितों के टकराव की है आशंका
कई कंपनियों ने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद मिला दिया है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी के मद्देनजर सेबी ने मई, 2018 में इन पदों को विभाजित करने के नियम पेश किए थे। त्यागी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सूचीबद्ध कंपनियों को सभी अंशधारकों से पर्याप्त प्रकटीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनियों को यह बताना चाहिए कि महामारी का क्या वित्तीय प्रभाव हुआ है। उन्हें सिर्फ चुनिंदा खुलासे तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
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