नयी दिल्ली: सेबी ने नियामकीय नियमों का उल्लंघन करने के लिए कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और उसपर छह महीने के लिए नयी फिक्सड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) लाने पर रोक लगा दी। पूंजी बाजार नियामक ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह छह एफएमपी योजनाओं के यूनिटधारकों से लिए गए निवेश प्रबंधन और परामर्श शुल्क का एक हिस्सा 15 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज के साथ वापस करे। मामला कंपनी द्वारा कुछ एफएमपी में निवेश से जुड़ा है।
कोटक एएमसी के इन एफएमपी ने एस्सेल ग्रुप की इकाइयों द्वारा जारी जीरो कूपन नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (जेडसीएनसीडी) में निवेश किया था। सेबी ने कोटक एएमसी की ओर से एस्सेल समूह की इकाइयों के जेडसीएनसीडी में निवेश का फैसला लेते समय जोखिम मूल्यांकन की जांच में खामियां और ढीला रवैया पाया।
कंपनी ने कोंटी इंफ्रापावर एंड मल्टीवेंचर्स और एडिसन यूटिलिटी वर्क्स जैसे एस्सेल समूह के "कुछ महत्वहीन और वित्तीय रूप से अक्षम इकाइयों" के जेडसीएनसीडी में निवेश करने के प्रस्ताव का मूल्यांकन करते समय क्रेडिट जोखिम, तरलता और ब्याज दर जोखिम जैसे विभिन्न जोखिम मापदंडों का विश्लेषण नहीं किया। सेबी ने अपने 84 पन्नों के आदेश में कहा कि कंपनी जांच करने में नाकाम रही और साथ ही अपने निवेशकों को सही समय पर छह एफएमपी योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव के बारे में जानकारी देने में विफल रही।
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