नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कामकाज के तरीके में बड़ा बदलाव लाने के पक्ष में है। इसमें डायरेक्टर्स की नियुक्ति और उन्हें हटाने का मामला भी शामिल है। इसके अलावा नियामक चाहता है कि कंपनियों की ऑडिट समितियों को भविष्य के जोखिमों की पहचान को सशक्त किया जाए।
नियामक का यह कदम टाटा समूह में हालिया बोर्डरूम विवाद तथा इंफोसिस के शीर्ष प्रबंधन तथा कुछ प्रवर्तकों के बीच मतभेदों की खबरों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बोर्ड स्तर पर विचार-विमर्श में लिस्टेड कंपनियों की विभिन्न बोर्ड समितियों को अधिक सहिष्णुता तथा पारदर्शिता दिखानी चाहिए।
- हालांकि नियामक चाहता है कि ये कंपनियां बेहतर तरीके से स्वैच्छिक रूप से सर्वश्रेष्ठ वैश्विक व्यवहार अपनाएं, बजाये इसके कि कड़े नियम उनपर जबरन थोपे जाएं।
- सेबी ने पिछले महीने लिस्टेड कंपनियों में बोर्ड आकलन पर दिशा-निर्देशन नोट जारी किया था।
- ऐसा विचार उभरा है कि नियामक को अधिक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नियमों का नया सेट लाना चाहिए।
- सेबी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि नियामक संभवत: जल्द और विस्तृत दिशानिर्देशन नोट लाएगा।
- इसके अलावा वह सार्वजनिक विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू करने की भी संभावना तलाश रहा है, जिससे यह समझा जा सके कि क्या नए नियमों के सेट की जरूरत है।
- सेबी में जल्द नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है।
- वरिष्ठ अधिकारी अजय त्यागी एक मार्च से सेबी के नए चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं।
- क्या मौजूदा निर्देशन नोट को बदला जाएगा, इस पर अंतिम फैसला संभवत: त्यागी के पदभार संभालने के बाद ही होगा।
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