नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने ऋणदाताओं द्वारा संकटग्रस्त सूचीबद्ध कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए नियमों में ढील दी है और संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है। इसके तहत उन्हें शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश करने से छूट दी गई है।
हालांकि बाजार नियामक का कहना है कि उक्त छूट कुछ शर्तों के साथ मिलेगी जिसमें हिस्सेदारी अधिग्रहण के लिए शेयरधारकों की मंजूरी विशेष प्रस्ताव से लिया जाना भी शामिल है। सेबी ने यह फैसला ऐसे समय में किया है, जब सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि के फंसे कर्ज से निपटने का प्रयास कर रहा है।
नियामक ने 14 अगस्त को जारी अधिसूचना में कहा है कि एक्सचेंजों में सूचीबद्ध संकटग्रस्त कंपनियों में पुनर्गठन के नियमों में ढील दी है। नियामक के इस कदम का उद्देश्य संकटग्रस्त सूचीबद्ध कंपनियों में कायापलट सुगम करना है, जिसका फायदा शेयरधारकों व ऋणदाताओं को होगा।
वर्तमान में रणनीतिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) योजना के तहत ऋणदाताओं के लिए संकटग्रस्त लिस्टेड कंपनियों का पुनर्गठन करने के लिए प्रीफ्रेंशियल इश्यू आवश्यकता और ओपर ऑफर ऑब्लीगेशन से छूट मिली हुई है। चिंताओं को देखते हुए सेबी ने संकटग्रस्त कंपनियों में नए निवेशकों के अधिग्रहण को आसान बनाने के लिए नियमों में कुछ शर्तों के साथ ढील दी है। शर्त के मुताबिक कंपनियों के शेयरहोल्डर्स से स्पेशल रिजोल्यूशन के जरिये अनुमति लेना होगा और निवेशक को कम से कम तीन साल तक अपना निवेश बनाए रखना होगा।
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