मुंबई। सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों में निवेश को बढावा देने के उद्येश्य से इस क्षेत्र में एंजल निवेश के नियमों में ढील दी है। इसके तहत नए व्यावसायिक विचारों को सहारा देने वाले ऐसे निवेशक अब पांच साल तक पुरानी इकाइयों में पूंजी लगा सकेंगे।
सेबी ने सेबी (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम, 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर कर स्टार्ट-अप कंपनियों को एंजल कोषों के निवेश के अपने नियमों को औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) की नीति के प्रावधानों के अनुरूप कर दिया है।
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- सेबी के निदेशक मंडल ने अपनी बैठक में एंजल निवेशकों के लिए स्टार्ट-अप कंपनी में निवेश बनाए रखने की न्यूनतम अनिवार्य अवधि तीन साल से घटा कर एक साल कर दी है।
- इसी तरह उनके लिए न्यूनतम निवेश की सीमा भी 50 लाख रुपए से घटा कर 25 लाख कर दी गई है।
- स्टार्ट अप क्षेत्र के ऐसे निवेशकों को अपनी निवेश योग्य निधि के एक चौथाई हिस्से को विदेशी उद्यमों में निवेश करने की छूट होगी।
- यह इस बारे में अन्य क्षेत्र के एंजल निवेशकों के लिए लागू नियम के ही अनुरूप है।
- सेबी ने एक योजना में एंजल निवेशकों की अधिकतम संख्या 49 से बढ़ा कर 200 कर दी है।
- नए नियमों के तहत एंजल कोष अब स्टार्ट-अप में तीन की जगह पांच साल के अंदर पंजीकृत इकाइयों में निवेश कर सकेंगे।
- जोखिम को बांटने के लिए सेबी ने इस क्षेत्र के एंजल निवेशकों को अपने निवेश योग्य धन का 25 प्रतिशत हिस्सा विदेश में करने की छूट दी है।
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