एजीआर बकाया: एयरटेल को SC से राहत, DoT द्वारा बैंक गारंटी कैश कराने पर 3 हफ्ते तक रोक
दूरसंचार विभाग ने 17 अगस्त के एयरटेल को पत्र लिखकर कहा कि वो वीटीएल के एजीआर से संबंधित बकाया चुकाये, ऐसा करने में विफल रहने पर बैंक गारंटी को भुना लिया जायेगा।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दूरसंचार विभाग (DoT) को निर्देश दिया कि वीडियोकॉन टेलिकॉम लिमिटेड (वीटीएल) के 1,376 करोड़ रुपये के एजीआर संबंधी बकाए की वसूली मामले में तीन सप्ताह तक भारती एयरटेल की बैंक गारंटी को भुनाया नहीं जाये। गौरतलब है कि वीटीएल ने अपने स्पेक्ट्रम भारती समूह को बेच दिये थे। शीर्ष न्यायालय ने एयरटेल की इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि वीटीएल का बकाया उसके द्वारा देय नहीं है, हालांकि उसे दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) में अपनी शिकायत लेकर जाने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘विभाग आज से तीन सप्ताह की अवधि तक प्रतिवादी (भारती एयरटेल) की बैंक गारंटी को नहीं भुनायेगा।’’ पीठ ने शुरुआत में एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान को स्पष्ट कर दिया कि वह पिछले फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हम फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और हम आपको उचित मंच से संपर्क करने की अपील वापस लेने की आजादी देंगे।’’ न्यायालय ने दूरसंचार विभाग की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस बात को भी संज्ञान में लिया कि DoT को एयरटेल द्वारा चुने गए मंच के समक्ष सभी तरह की आपत्ति, अन्य बात रखने की अनुमति होगी।
एयरटेल ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने 17 अगस्त के एक पत्राचार में उससे एक सप्ताह के भीतर वीटीएल के एजीआर से संबंधित बकाया चुकाने के लिए कहा, ऐसा करने में विफल रहने पर बैंक गारंटी को भुना लिया जायेगा। दीवान ने स्पेक्ट्रम व्यापार के दिशानिर्देशों सहित विभिन्न दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए कहा कि वीटीएल के बकाया समायोजित सकल राजस्व या एजीआर को चुकाने की जिम्मेदारी विक्रेता की है और खरीदार को भुगतान करने की जिम्मेदारी के साथ नहीं बांधा जा सकता है। वीटीएल ने 2016 में हुए समझौतों के तहत अपने स्पेक्ट्रम भारती एयरटेल को बेच दिए थे। उन्होंने कहा कि भारती समूह पहले ही 31 मार्च 2021 तक DoT को एजीआर से संबंधित बकाया में 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है, जो कुल एजीआर बकाया के 10 प्रतिशत से अधिक है। दीवान ने तर्क दिया कि उचित मंच के समक्ष शिकायतों को उठाने का मौका दिए बिना एयरटेल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इसके बाद न्यायालय की पीठ ने दूरसंचार विभाग से कहा, ‘‘हम उसे (एयरटेल) को आवेदन वापस लेकर टीडीसैट के समक्ष जाने की अनुमति देते हैं, आप अपनी कार्रवाई दो- तीन सप्ताह के लिये रोक दें।’’