नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया कि नोएडा में सुपरटेक की परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले 26 खरीदारों को मूलधन लौटाया जाये। सुपरटेक की इस ट्विन टावर परियोजना को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गिराने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वकील गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट पर विचार किया जिसमे कहा गया है कि सुपरटेक के ट्विन एमराल्ड टावर के अनेक मकान खरीदारों में से 26 को कोई पैसा वापस नहीं मिला है।
पीठ ने कहा कि इस रियल इस्टेट फर्म ने न्यायालय की रजिस्ट्री में 20 करोड रूपए जमा कराये थे और इस धन का इस्तेमाल उन मकान खरीदारों का मूल धन लौटाने के लिये किया जायेगा जिन्हें अभी तक कोई भी पैसा वापस नहीं मिला है। पीठ ने न्याय मित्र से यह भी कहा कि वह धन वितरण में भी सहयोग करें। न्यायालय ने कहा कि मकान खरीदारों को मूलधन पर देय ब्याज और निवेश पर वापसी में कटौती के मुद्दों पर बाद में विचार किया जायेगा। मकान खरीदारों की ओर से वकील अखिलेश कुमार पाण्डे और शोएब आलम ने कहा कि परेशानहाल खरीदारों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए।
पीठ ने न्याय मित्र से 22 सितंबरको कहा था कि मकान खरीदारों की शिकायतों के समाधान के लिये वेबपोर्टल शुरू किया जाये। इसी संदर्भ में पीठ ने आज आदेश दिया कि इसे शुरू करने पर आये खर्च के रूप में उन्हें दो लाख रूपए का भुगतान किया जाये। पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों के अंतिम रूप से निस्तारण के लिये इन्हें चार दिसंबर को सूचीबद्ध किया है। उच्च न्यायालय ने दो टावर गिराने के इसी आदेश में दो टावर सुपरटेक को निर्देश दिया था कि मकान खरीदारों को तीन महीने के भीतर 14 प्रतिशत ब्याज के साथ उनका धन लौटाया जाये।
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