एस्सार IBC केस: सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के दिए आदेश, 7 अगस्त को अगली सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एस्सार स्टील के दिवाला एवं ऋणशोधन मामले की सुनवाई सात अगस्त को होगी और तब तक निगरानी समिति अपना काम जारी रखेगी।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एस्सार स्टील के दिवाला एवं ऋणशोधन मामले की सुनवाई सात अगस्त को होगी और तब तक निगरानी समिति अपना काम जारी रखेगी। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि एस्सार स्टील के दिवालिया मामले में निगरानी समिति 7 अगस्त को होने वाली सुनवाई तक अपना काम जारी रखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी मसलों का समाधान किया जाएगा और केस की सुनवाई तेज की जाएगी। कर्जदाताओं की समिति ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चार जुलाई के फैसले को चुनौती दी है।
बता दें कि एस्सार स्टील पर 54,547 करोड़ रुपए का कर्ज है। अगस्त 2017 में एस्सार स्टील के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू हुई थी। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कंपनी की नीलामी की गई थी। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में फंसी एस्सार स्टील के प्रमोटर प्रशांत रुइया की अपील खारिज करते हुए लक्ष्मी मित्तल की कंपनी आर्सेलर मित्तल की 42,000 करोड़ रुपए की बोली मंजूर की थी। रुइया ने आर्सेलर मित्तल की योग्यताओं पर सवाल उठाए थे। कर्जदाताओं की समिति ने इसके विरोध में उच्चतम न्यायालय में अपील की है।
ट्रिब्यूनल ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के अधिकार छीनते हुए ऑपरेशनल क्रेडिटर्स को सिक्योर्ड क्रेडिटर्स के बराबर दर्जा देने का आदेश दिया था। इससे ऑपरेशनल क्रेडिटर्स को दिवालिया प्रक्रिया के तहत ज्यादा रकम मिल पाएगी। ऑपरेशनल क्रेडिटर्स किसी कंपनी के उन कर्जदाताओं को कहा जाता है जो संचालन संबंधी संसाधनों की सप्लाई करते हैं। इनमें वेंडर भी शामिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एनसीएलएटी रेजोल्यूशन प्रोफेशनल की तरह काम नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLAT) पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वह एक रेजोल्यूशन प्रोफेशनल की तरह काम नहीं कर सकता। गौरतलब है कि यह विवाद बैंकों के अधिकार और बैड लोन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि कर्ज लेने वाली कंपनी एस्सार स्टील आईबीसी के तहत इन्सॉल्वेंसी यानी दिवालिया होने की प्रक्रिया से गुजर रही है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि NCLAT ने अपने 4 जुलाई के आदेश में कहा था कि उसने स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल के नेतृत्व वाली कंपनी आर्सेलर मित्तल के 42,000 करोड़ रुपये में एस्सार स्टील को खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उसने एस्सार के शेयरधारकों की इसको रोकने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एनसीएलएटी के इस आदेश के खिलाफ अपील की गई थी और कोर्ट ने अब बैंकों को राहत दी है।
नए इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्शी कोड (IBC) के तहत एस्सार स्टील की नीलामी कर 54,547 करोड़ रुपये जुटाने का प्रस्ताव था ताकि बैंकों और अन्य कर्जदाताओें के बकाया का भुगतान किया जा सके। कंपनी के दिवाला अदालत (बैंकरप्सी कोर्ट) में जाने के बाद उसके मूल प्रमोटर रुइया बंधुओं ने जून 2017 से एक के बाद एक कानूनी रूप से मामले को चुनौती दी। उनका कहना था कि 54,547 करोड़ रुपये की पेशकश सबसे ज्यादा है। एस्सार स्टील को खरीदने के लिए आर्सेलर मित्तल ने लोन रेजोल्युशन के लिए 42,000 करोड़ रुपये के भुगतान तथा इस्पात कारखाने में 8,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया था। एस्सार स्टील के पास एक करोड़ टन क्षमता का स्टील कारखाना गुजरात के हजीरा में है।