नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में महंगी डीजल कारों की बिक्री एक बार फिर शुरू होने की उम्मीद एक बार फिर बढ़ गई है। दो बड़ी वाहन निर्माताओं कंपनियों- मर्सेडीज और टोयोटा की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एके सीकरी और आर भानुमति ने कहा कि वह ग्रीन सेस के भुगतान पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2000 सीसी से ज्यादा वाली क्षमता वाली कारों और एसयूवी की बिक्री पर लगा बैन हटाने पर विचार कर सकता है। सुनवाई के दौरान दोनों कंपनियों के वकीलों ने कोर्ट के सामने कहा है कि बैन हटा लिया जाए तो वह इन कारों की एक्स-शोरूम कीमत का एक फीसदी सेस के रूप में जमा करने के लिए तैयार हैं।
डीजल कारों के लिए देने होंगे ज्यादा पैसे
कोर्ट ने कहा कि बड़ी डीजल कारें खरीदने वालों को समझना चाहिए कि उनके वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। अदालत ने कहा कि चूंकि ये कारें पेट्रोल अवतार के मुकाबले ज्यादा प्रदूषण करती हैं इसलिए वह कार निर्माताओं पर कुछ ग्रीन सेस लगाकर उन्हें इन बड़ी डीजल कारों की बिक्री शुरू करने की इजाजत देने का विचार कर रहा है। जस्टिस ठाकुर ने कहा, ‘जो व्यक्ति इस कार को खरीद रहा है उसे मालूम होना चाहिए कि वह प्रदूषण फैलाने वाला वाहन खरीद रहा है इसलिए उसे ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं।’
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कोर्ट ने कंपनियों से मांगा रोड मैप
सुनवाई के दौरान टोयोटा के वकील गोपाल जैन ने कहा कि कंपनी अपनी ओर से एक्स-शोरूम कीमत का एक फीसदी सेस के रूप में देने के लिए तैयार है। बेंच ने कार निर्माताओं को बड़ी डीजल कारों पर ग्रीन सेस लगाने का रोडमैप मांगा। इसके साथ ही उसने सरकार से कारों को बिक्री की इजाजत देने से पहले उनके प्रदूषण की जांच के तंत्र के बारे में सवाल पूछा।
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