नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का एकल शुद्ध मुनाफा 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही के दौरान 66 फीसदी गिरकर 1,263.81 करोड़ रुपए रह गया। इस दौरान डूबे कर्ज या एनपीए के लिए बैंक का प्रावधान दोगुना से अधिक हो गया। एसबीआई को पिछले वित्त वर्ष 2014-15 की जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान 3,742.02 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। एसबीआई ने शेयर बाजारों को अलग से भेजी सूचना में बताया कि बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए 2.60 फीसदी के लाभांश की घोषणा की है।
एसबीआई ने नियामकीय जानकारी में कहा, 31 मार्च 2016 को समाप्त तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 53,526.97 करोड़ रुपए हो गई, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 48,616.41 करोड़ रुपए थी। वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही के दौरान सिर्फ एनपीए के लिए ही बैंक का प्रावधान बढ़कर 12,139.17 करोड़ रुपए हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 4,985.83 करोड़ रुपए था। कुल मिलाकर जनवरी-मार्च 2016 की तिमाही में आपात स्थितियों के लिए 13,174.05 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जो 2014-15 की इसी तिमाही में 6,943.31 करोड़ रुपए था।
पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान बैंक का कुल मुनाफा 24 फीसदी घटकर 9,950.65 करोड़ रुपए रह गया। 2014-15 में एसबीआई का शुद्ध मुनाफा 13,101.57 करोड़ रुपए था। एसबीआई ने कहा, बैंक की कुल आय 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में बढ़कर 1,91,843.67 करोड़ रुपए हो गई, जो 31 मार्च, 2015 को समाप्त वर्ष के दौरान 1,74,972.96 करोड़ रुपए थी। परिसंपत्ति के मोर्चे पर एसबीआई का सकल एनपीए मार्च 2016 तक कुल ऋण का 6.5 फीसदी हो गया, जो पिछले साल 4.25 फीसदी था।
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