नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने लगभग 70 हजार कर्मचारियों को जोर का झटका दिया है। बैंक ने अपने इन कर्मचारियों और अधिकारियों से ओवर टाइम के लिए किए गए भुगतान को वापस करने का निर्देश दिया है। बैंक की ओर जारी इस आदेश में कहा गया है कि नोटबंदी के दौरान किए गए ओवरटाइम के बदले दिया गया भुगतान इन कर्मचारियों को लौटाना होगा।
दरअसल मामला यह है कि एसबीआई ने ओवर टाइम उन कर्मचारियों और अधिकारियों से मांगा है, जो उसके पांच सहयोगी बैंकों के कर्मचारी थे और अब एसबीआई में शिफ्ट हो गए हैं। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों को कई-कई घंटे ओवर टाइम करना पड़ा था। इसके एवज में सभी बैंकों ने अपने-अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को ओवर टाइम का भुगतान किया था।
एक अप्रैल, 2017 को एसबीआई में उसके पांच सहयोगी बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर का विलय हुआ था ऐसे में ओवर टाइम का भुगतान एसबीआई ने इन सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों को भी कर दिया।
एसबीआई द्वारा जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि सिर्फ एसबीआई के मूल कर्मचारियों को ही ओवर टाइम का भुगतान किया जाए। पत्र में कहा गया है कि ओवर टाइम का भुगतान केवल उन कर्मचारियों के लिए था, जो उस समय एसबीआई की शाखाओं में कार्यरत थे। उस समय सहयोगी बैंकों का विलय एसबीआई में नहीं हुआ था। इसलिए उन सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों को एसबीआई कर्मचारी नहीं माना जाएगा। ऐसे में इन कर्मचारियों को ओवर टाइम का भुगतान करने की जिम्मेदारी एसबीआई की नहीं बल्कि संबंधित बैंकों की बनती है। नोटबंदी के दौरान प्रतिदिन 3 से 8 घंटे का ओवर टाइम करने के एवज में बैंकों ने अधिकारियों को 30 हजार रुपए और अन्य कर्मचारियों को 17 हजार रुपए का भुगतान किया था।
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