नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक ने आज अपने ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है। बैंक ने 1 जुलाई से इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के जरिये एनईएफटी और आरटीजीएस पर लगने वाले शुल्क को खत्म करने की घोषणा की है। एसबीआई ने यह कदम आरबीआई की उस घोषणा के बाद उठाया है, जिसमें देश को नकदी-रहित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए शुल्क हटाने की बात कही गई थी।
देश के सबसे बड़े बैंक, जिसके पास लगभग 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, ने एक अगस्त से आईएमपीस का उपयोग करते हुए मोबाइल फोन के जरिये किए जाने वाले फंड ट्रांसफर पर भी शुल्क खत्म करने का निर्णय लिया है।
रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) सिस्टम बड़ी राशि वाले फंड ट्रांसफर के लिए है, जबकि नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) सिस्टम का उपयोग 2 लाख रुपए तक की राशि के ट्रांसफर के लिए किया जाता है।
बैंक ने अपने एक बयान में कहा है कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एसबीआई ने योनो, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों के लिए 1 जुलाई, 2019 से आरटीजीएस और एनईएफटी शुल्क समाप्त करने का फैसला लिया है। बैंक ने कहा कि वह अपने आईएनबी, एमबी और योनो ग्राहकों के लिए 1 अगस्त, 2019 से आईएमपीसी शुल्क भी समाप्त करेगा।
1 जुलाई से पहले एसबीआई एनईएफटी ट्रांजैक्शन पर 1 से 5 रुपए तक और आरटीजीएस फंड ट्रांसफर पर 5 से 50 रुपए तक का शुल्क वसूल कर रहा था। मार्च 2019 तक एसबीआई के इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 6 करोड़ से अधिक थी, जबकि 1.41 करोड़ उपभोक्त मोबाइल बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे। बैंक ने दावा किया है कि मोबाइल बैंकिंग ट्रांजैक्शन में उसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत है।
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