लेह। देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) लंबे समय के आवास ऋणों पर शुरू में कुछ समय के लिये स्थिर ब्याज दर और बाद में उसे परिवर्तनशील दर में बदलने की योजना चलाना चाहता है और वह इस बारे में रिजर्व बैंक से स्पष्टीकरण मांगेगा। बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने यह जानकारी दी है। रिजर्व बैंक के सभी खुदरा कर्ज को रेपो दर जैसे बाहरी मानकों से जोड़े जाने के निर्देश के बाद यह बात सामने आयी है। रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को कर्ज देता है।
कुमार ने कहा कि आरबीआई के परिवर्तनशील दरों (फ्लोटिंग रेट) पर नए नियमन के बाद स्थिर दरों को लेकर चीजें साफ नहीं हैं। रेपो दर में उतार-चढ़ाव का संकेत देते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रमुख ने कहा कि कुछ मकान खरीदार अपना आवास कर्ज निश्चित ब्याज दर पर खरीदने की इच्छा रख सकते हैं। ऐसे खरीदारों के लिये बैंक शुरू में निश्चित ब्याज दर और बाद में परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) दर वाले उत्पाद की पेशकश कर सकता है। स्थिर दर को पांच से 10 साल के लिये निश्चित रखा जा सकता है और उसके बाद वह परिवर्तनशील ब्याज दर की श्रेणी में आ जाएगा।
सप्ताहांत संवाददाताओं से बातचीत में कुमार ने कहा कि हाल में केंद्रीय बैंक का परिवर्तनशील दर वाले खुदरा कर्ज को लेकर दिशानिर्देश के बाद इस बारे में चीजें स्पष्ट होने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संपत्ति प्रबंधन नजरिये से 30 साल जैसी लंबी अवधि के लिये निश्चित ब्याज दर पर उत्पाद की पेशकश करना कठिन है। बैंक अब अधिकतम 30 साल के लिये कर्ज की पेशकश कर रहे हैं। निजी क्षेत्र के कुछ बैंक कर्जदार की उम्र के आधार पर 35 साल के लिए आवास ऋण की पेशकश कर रहे हैं।
फिलहाल एसबीआई का आवास ऋण उत्पाद परिवर्तनशील ब्याज दर से जुड़ा है। हाल में उसने रेपो दर से संबद्ध कर्ज उत्पाद की पेशकश की है। आरबीआई के बाह्य ब्याज दरों से कर्ज को जोड़ने के बारे में निर्देश के बारे में कुमार ने कहा कि एसबीआई का इस मामले में कोई ज्यादा मसला नहीं है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमने मई से रेपो से जुड़ा कर्ज और जमा की पेशकश शुरू की और उसके कई उत्पाद बाह्य मानकों से जुड़े हैं। बैंकों के विलय का एसबीआई पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने ने कहा कि इससे हमारे बैंक पर फर्क नहीं पड़ेगा। बैंक का कारोबार का अपना मॉडल है और यह जारी रहेगा।
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